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________________ iiba आमनेट दो पापोवाश जा IMIसुनापतितो पायाचनहीधपस मला विपद व पतामतापत्र निवतननन या निकाय के रातानिय बाल कामवाली नापायम विनामा बोलियनल या ति का वृप्तिः जसजो वनपदयानपानकला मागपत्र निवर्तनवतया हि कासिमानामनिवनिया विकता सानिदेवयामागविलबहादेवगपामाम ।। नाम नाप ने कं निवल यानि का बनिःो नम गोन विलायनिवर्तनच या दिवसात मा पनि वर्तवद्ध पानि का वति। गर्गो नलत नावानवतनधपा। कतिः। माने यगोन वी पनि मनगवा देवमावि दे। बनास नाना के निवर्तनस्तनपा म कावनि: माधवाया निबननवजातिका बहादेववेतमा नाम नापन्य कनिता नह यामि का वति । स व लगनगामे व पायनिवानि या कारा कायम पालना नाम तापनी के नि वह या विकासारवाला निवनवामिका पनि कारपणे नमाजसिंदविनामय कानि नवसायानि का वनि कुचमानाचसिह नाग संचयित निद बना गप सिंगगि ना मानो की निवतन ह या हि कानिपटगा जवन देवता जसा मत ना दालनि वननदयाल Ka तुम के शिकागजमानायनि वनिताना कितना यानिनिया ति का वत्रिमति, वा नसो मनाहायनिकन यानि का वृत्रि कोड वायो विनापा पागतामना तं तितकनर विति स तव के रावटेवापसर्वपलाधनिवर्तन। यसीमलवानहोगपनि वर्तनी के समाधानव नही रख दे का नवनिरयन र तृविनिवर्तन खान का निवन्य वकिक रहमा तिव तह जिन प कान दुलले तटाकाहानतम मिना वजनानारावासदेवापमहा। देवा एवमी निसान मोदक पानापर्क नवस Sravg कागती: पादानप्रदान सुपेसिंग गोडसंकामें रानी तो निव नियमबागोड़ा। पनिवर्ननमे के Vवं मन्न कमपाला विक्का वाताया। से ग मेनस्नपने पाहातारात नादान पार पोर्न साहाना से योपाननंदानाम वालेोनिपत निनाद पगाबाद :मयाद बा मलनिस्तगपार्टि। नस्यमा नसानसानदापनावताका तो वोपविषतहमा विलाया। योकि निवेदन यानास पानवारीमार अलापनेपाल मा दा सतपतिः सानिमगलमदारण
SR No.032588
Book TitleEpigraphia Indica Vol 34
Original Sutra AuthorN/A
AuthorD C Sircar
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1961
Total Pages384
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size20 MB
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