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________________ iii. 108 नारायनहता महागतानामदनवनागाव 110 सह: तगतिमा विक हाता हाला हितागा लक्ष्मी घर तहसुन 112 मलादवतः प्रभाविया एकूण हा सतना एनकोडिया:विकतामा : यह नाना वानराशवादार्यमुत पुरुषा77108 तकावर रुपावहत थापाद श्री व सामाना दामोदर राहत: रामशरन हा हरिवन र सहचारी स्वदे का गोना सामना हो, निसुतः 110 112 114 118 नाम होता| का थापा माया दिन अनंत न त सारंग नहः का थप काथा दात काह तहत सवलत है ।ता हरित।। राम पंडित भुवन दतवतार हा जगात सामगान 114 सक्ष्यद्वारशमराघाटाः। प्रर्वत: दो डिगा । सा डाल दिदि लतः किश वा पुरी । सातरिगर्त। हरिकान 116 वागपि यमतः राज [गी ही वारा दिन वली । डगलिगाकाण संबध महादिपुरी उतरता गंग, 110 पवन उराघाट विश्वहः पुरुषात्रम पुरा पर नाम माया ग्रहाकृतः प्रधाह्मण नियमाः स डार्क [म] नाद्याम निशान विक्रयं स दास मार्ग यांगनानांसद 118 नवदद्य तपता रापि निवारणीयः। इ. खादिकं वापि नारलीयस कम्म निष्टि से वित ग्रामलि 120 राजासवका ना वसतिप्रयाण दोड। न त मिदानप्रशंसा सिंहासन तथा वसवादर 120 :: भूमिदानस्य पुष्पाणिक लेवविता त्यतिपितरमभ्य व लीति वपितामहाः। निद 129 कालजातः सोमीदवार विष्यति श्रादित्या इव दीप्य जातजमा दिविमान वा य प्रयतिव मिलाया हिताभयघालिती पाए वैमिदीतारमनु 124 [ष्टामादिनिया। राष्ट्रा विपुलदलिम वाना तय हो पायो हि किं क रा मिता पा. सुदारुणा । घोरा वा रुपापा (नापसर्वानमिदतिपय (तदाता ि 128 सतरा शायरा हत्यायवृत्रिका यी दाता मित्र करी दवात निमान का वर्षसह (सागनिनिमिया वादा नुमंता सतावन राज वासना वारि तिमाप्रातिपुरम 128 यमन तिलप्रदः प्रजामिष्टादी प्रदेश कुरुत मा ईमाप्नातिदीर्घमायु 124 126 [क] मंगु ला हरनाक मानियानंदा ब्राह्मणन मिटर पे दाषाः।। गाम कारनि कामक 130 व्रत लवादती परतावा या हरित वसुं । षष्टिवर्ष महमा विष्ठायां जायानक [मिः सदा 190 तां परदता बाहार तर विद्यायाः । वृत्तिं सजायात विदुघर्षाणामयुतायुता विश्वताया 132 शु का कार रशानिक प्रजायात ब्रह्म हार का दिन विविधमहारं व किरह्निः यति कुल समूहति ब्रह्मसारणिपात का। ब्रह्म पैडरनुज्ञातं तं इंतिपूरुषाप्रसं 134 बलासी दशर्वादपरा नाटकं तियावतः पासून दतामा विदवः विद्यापी दाल्पानांऊटुंबिनी। राजा नाराज कुल्याश्व तावाता हा निरे ऊ था। ऊंनी पाकि खुप द्यति ब हारिणः ॥ घन्त मिपालन फले॥ दानपालनायाम (घदा नहायानुपालन। दाना सूर्यन वा 196 तिपालनादकत पदांगण्यात पांश वा समयांत दृष्टि दिवः । नगथात विनापि 198 फली बङ्गनिर्वमुधा दत्ता राजनि सगरा दिति । यदामियतस्तद सामान्या पाकाले कालपालनीयात वह्निःसीना दिन:पा विर्विद 140 या या यात नरा में तंत्र : म मेराजा परम ही पतिवंशज पापादापत मनासा जति साविप 140 मधुता मया विरचिता जलिर माले महासन 136 सत्य 122 128 132 134 188
SR No.032579
Book TitleEpigraphia Indica Vol 25
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSten Konow, F W Thomas
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1939
Total Pages448
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size23 MB
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