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________________ 110 EPIGRAPHIA INDICA [VOL. XXIV -- - स्वयश्व मला भविचति दिवसतिमबिवल्या । यो भूमिदेव पदपान्य'पविष[मौलि[स] ख्यातपुग्यचरित सुतमापतीति ।[२०] संखामतोत्व काय[ससब यचाइयो र । पम[:] काय[ख त्याच्या जातिमात्माभि - ] - - - - - - - - कुले ---प्रधि a त - - - । [चीजोजगापुचमनन्तति ] कायखगः प्रससार तस्मात् ॥ [२] तसान्वये नयषिदः अधिक छतत्राः सत्यव्रताः बकतिनो गुणिनः क्रमेव । प्रार्षि(क)]भूवुरसमाविभौतसमदत्ताभयाः कमाकर र-~-- ॥[४०॥"] --~- ~-~ -कुलेभिवेकः 28 - [कर इति प्रचितो] व(बभूव । [स] दुबजलशिौसमुन] रखेड कौतुम वानुपमप्रमायः ॥[४१॥"] पुर पुरो विचल्गुणाधिशेषतः सिमचताः] पुरुषवरानिहाय]ये । चकार यः [प्रथितगुणान्पु] '-~-~-~ - ~- ~- [४२॥'] • • • • • • • • • • • • • • 24 . [विभुवनस्वा । बोवन्मभूषण व श्रीशरावदेवस्य Mom"] [गवा] चूत कवीन्द्राचा) बन्धमिन्द्रपति [सदा] । समारखान्दति बलौर्णिः कार्तिकी] [दावादिका] [४४॥"] [कमल विसलमा जनानुरागः] छतमूलि !] --।मा ---- --~-- [कलंकितकोटि कूटे ?"] [४ ] --- - - -- - - - ---- -- .. य[ख तखात् । -- - [लोकताबकस्व सोम[सरस्व महितस्य वरं च जन्म [४६॥*] [प्रजाव(ब)[लाजवाबोला --- -- परिव व(बला - -- --- - [प्रवरपरिणतपुखरीका? तश्चम ?] पबपरका] - - - -- ॥[४ ] 1 Road पां-- • Restore urefu. • The name lont here may have been प्रभाकर. • Restone पुररसराम् "I am not oortuin about the motre of this verve. बमच If it is rajan, some akshara, have been dropped before
SR No.032578
Book TitleEpigraphia Indica Vol 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirananda Shastri
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1937
Total Pages472
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size22 MB
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