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________________ 2 4 6 8 10 12 14 16 i. 18 0022228 24 26 30 32 34 ii. PENDRABANDH PLATES OF PRATAPAMALLA: THE KALACHURI YEAR 965. ईल उनले नमानियापक नित्य सर्व पन मका ही जात या ही तुझे तिसरे मे सरस ले नमः ॥ पदेन दये समंदर सिषानुषखायनादिना विका वाघः॥२॥ नरमाई व निको ने सकलगुलबना है हथा ने कसको जातायता शिष्यापतिक निह यो मामले वृत्तात साखेदि देखिल निनितान्तःको कुन देवान पति नकुलम जी भूमकेतुः॥ ३ ॥ दानिक निवात्रात सोयप नाखतक्ष्यत जान पनि समाशी पालन मंडलपतीन्स का वन ॥ ४॥ सामन्त्र कलिंग नाऊः वाहि कविता तिम्रो दोजनाका कानात का जति नदि कमल नीतं वसति ने विनित्यत्र ॥ ६ ॥ देवास उत्तरमान पः सार्द्र ल विक्रनशनरत पलसं काम पाल मंडल ॥ ततखी नाप सकला ना मनुपरि तक को न त्रिकल विकताना समजाऊ लादेव ॥ देवो वाद तो पति खोडगंग गोकल प्रति के पना रौ॥ ततो सदा सौम दिलयत कान महि माहि माना वा अपयशोविल बना ले कुट्टा पसल नवोदय सिनः सुतः तदनुरुदल नानपारा पालक निवडून बोलवतमान पसाईल विक्रमः॥९॥ पुत्रखत्री कलकल बलसीः सीमा पुलमूलाभि वनित सोना सिनिया विश्वः । श्रासीदाशी मंजू भी वलेपनि बाद दो को टुलीला पतीः ॥ १२ ॥ वस्त्रस्या सौ हिलो - निर्द्धता से वैदितिपतिनिहोत सुत्रः १२ лек लहनी निईत दिग्मंड लो मूनिर्जितमन्मयः समजवत सोमप्रतापढ़ापा लाई सोबले मुनि सो पालामाल, दीने वैदिन लिगल नित्यहि विनामहि ॥ मला महत्या महतोम ही सोप मनोजजकमल सीमो मनोवलेन वालों पितति द्वितीयः ॥२४॥ वसिस कि पानास नहुति प्रवः सुनना मानो ने पानासने दिवाकराम लोके ते नाऊ निदिता के नाना ज्ञान नमो न वेदविद्य॥ २६॥ तस्मादा तली गुलिभागले बुदा नंदद कृपया विद्यमान वसमा महिला मनाससाखाना भवनात सिविल नवनिन अनि अनविपय निज्ञान संकलन मामा मान्यता लेना २. मंडलामो कालोपन प्रकार का बना होमिदानपति हानिपखर्भनंदन॥२॥ सवादी निःसमता दिया दान मानस्या तदा फलमै ॥ २९ ॥ मिंटा: प्रतिष्टावियस तु मिश्रा निपुला कर्मानियत गा मिनी पूर्वदत्रानिपोखना पुनंद नाम ही महीन. तो सेहा दाना हो या दि पाल, नीर३॥ स्वद ही पसंद बी वा यो हुने सविनाला कृमि तापितृतिः॥ * वाजपेयी कोहि प्रदानेन निति ॥ २ ॥ वर्षसहस्र लिख दि खाने के ला लानु म वा जनान्यं वनत के वसे ॥२॥ वैयक्तिले नसीमायाः 'हमने पुलस्पति ॥ वासु पनि तैलविंदु सित भूमिदानं स स नोहति ॥ गोहाना पतिता ऊ माना विद्यामु विकलः सर्वमितिले प्रह संततिकिट के मा दिदि सरखेल N. P. CHAKRAVARTI. REG. No. 3919 E'35-425. SCALE: ONE-HALF. 2 4 6 8 10 12 14 16 222 2222 * 24 26 SURVEY OF INDIA, CALCUTTA.
SR No.032577
Book TitleEpigraphia Indica Vol 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHirananda Shastri
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1935
Total Pages436
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size25 MB
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