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________________ Sonpur plates of Satrubhanja. - स्तुस्ति रत.ज्वार कालड़ रूशिक चालल्यानतरूक कह का हाकुलिन हिमालकममातुमजलारपनर महरा दत पाठ सुरुमपलहिपाल (कहरहार शाहरलाल र दकसारवल्यावहारात तटसम्नलिषाक लखकल राजालमाल मालारिटवारपाराना ककृपलाला रडारकावासमकान हम स्तरों क साटिस्यापपुलपत्यानस्यलप्रयाकलास्त रमपविशाल ठाठ सतहटानमा मातममरता हालतममारतडजकमक्य नायताकारतालगाडा ० कारुर दे०१ तलास लगाव रस्त रुग्ननगमरमालम० ललतमस्तपरकर उरडरलका रूरल करना मलाशय किलपना सरलरल हिला केक काट्याला iia. सूरदरासाय पसल दरलतमाम रहात लपरः मरद आलिमकामा तपरमलेक्ठल क 14 लस्तपतलहरल तरिहरका कतिपदिलाकरावास्ति सकपकाउछापरूठप्समठठमलापतृपारानाहरू मल कुललितक: रुयलिमरतहतविपी राइपका काका 187- माससमोरमा कामहारता माझलपसाया 18 यायपालिका रूदल रहा लिलाय घारहमा २० कयलवारयलितमारियलिकाताडावमावा कठिरलम २० तुरुल्लागायमादिषयप्रतिवरमलुपाडिव कशावर उ तिमाप १ ये कलिवस्तापविस्ताहियलायनिलिययुगारिसका जगात(वा २० माला पाया मम एमदिरयताललनमा मत पर बिका 24 ट्रावास के कत(ठरय ठाडा सम्पूलपायलायसवालकर 24 V. VENKAYYA. SCALE-8. W. GRIGGS & SONS, LTD., PHOTO-LITHO. FROM IMPRESSIONS PREPARED BY MR. KRISHNA SASTRI.
SR No.032565
Book TitleEpigraphia Indica Vol 11
Original Sutra AuthorN/A
AuthorE Hultzsch
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1911
Total Pages438
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size22 MB
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