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________________ JAINA INSCRIPTIONS TROM SATRUMJAYA. No. XIX. L. 1. संवत् १५७५ मिते सुरताचनरदीवहांगीरसवाविवविराज्य सारिवादासरतासषोस[]प्र. 2. वर राजनगरे सोबइसाहियानसुरताणपुरमे वैशाख सित १२ शुक्र श्रीमहादावादवाखबमाबारजातीय में देवराज मा ____8. []डी पुत्र से गोपाल भार्या राज पुत्र में राजा पुत्र सं सारंचा मार्या नातू पुत्र में बोनों भार्या जसमादे पु श्रीशवजयतीर्थयावाविधानसंप्राप्तसंघपतितिलकनवीनजिनभवनबिंबसाधार्मिकवालस्यादिधर्मक्षेत्रो 4. तखवित्त सं सोमजी भार्या राजलदे पुत्ररत्न संघपति []पजीतेन [केन] पितृव्य भिवालालजी स्वभ्रातृरत्न रत्नजी सं [दरदास] स्खलधुभ्रातृ षीमजी सुत रविजी पितामहमातृ मैं नाथा पुत्र सूरज खपुष उदयवंत प्रमुखपरिवारसहितेन स्वयंसमुचारित 5. सप्राकारथीविमलाचलोपरि मूलोहारसारचतुर्मुखविहारगारहारधीपादिनाथबिंब कारितं प्रति. ष्ठितं च श्रीमहावीरदेवाविच्छिवपरंपरायातवीहरुखरतरगच्छाधिराजबीचकबरसाहितिबोधकतबदत्तयुगप्रधानबिरुदधारकषाण्मासिकाभय____6. दानदायकसकलदेशाष्टालिकामारिप्रवत्तीवकयुगप्रधानश्रीजिनचंद्रसूरि मंचिमुख्यकर्मचंद्रकारितथीअकबरसाहिसमक्षमपादशतलक्षवित्तव्ययरूपनंदिपदमहोत्सवविस्तारविहितकठिनकाश्मीरादिदेशविहारमधुरतरातिशायिस्खवचनचातुरीरंजिताने 7. कहिंदूकतुरष्कराधिपश्रीअकबरसाहिबीकारथीपुरगोलकुंडागजणाप्रमुखदेशामारिप्रवत्तावकवषावधिजलधिजलजंतुजातघातनि तीवकसुरतापनरदीजहांगीरसवाईप्रदत्तयुगप्रधानपदधारकसकलविद्याप्रधानयुगप्रधानश्रीजिनसिंहसूरि पट्टप्रभाक 8. श्रीअंबिकावरप्रवाचितघंघाणीपुरप्रकटितचिरंतनप्रतिमाप्रशस्तिवहीतरबोहित्य[व]शीय सा' धर्मसीधारलदेनंदनभट्टारकशिरोमणिश्रीजिनराजसूरिसूरिपुरंदरैः । आचार्य श्रीजिनसागरसूरि श्रीजयसोममहोपाध्याय श्रीगुणविनयोपाध्याय श्रीधर्मनिधानोपाध्याय पं° पानंद 9. कीर्ति स्खलघुभात वा भद्रसेन पं राजधीर पं भुवनराजादिसत्परिकरः [] No. XX. L. 1. संवत् १६७५ प्रमिते ॥ सुरताणनरदीजहांगीरसवाईविजयिराज्ये साहिजादा 2. सुरताणषोस[रू] प्रवर श्रीराजनगरे सोबइसाहियानसुरताणषुरमे वैशाख सित १३ शुक्र श्रीग्रह 3. म्पदावादवास्तव्यप्राग्वाटजातीय से देवराज भार्या [डडी पुत्र से गोपाल भार्या राज पुत्र सेराजा पु म साईआ भायी नाकू ____4. पुत्र सं जोगी भार्या जसमादे पुत्र श्रीशवंजयतीर्थयात्राविधानसंप्राप्तसंघपतिपदवीकनवीनजिनभवनबिंबप्रतिष्ठासाधर्मिवात्सल्यादिसत्कर्मधर्मकारक सं° सोमजी भार्या राजलदे पुषरत संघपति [ड]पवीकेन भाया जेठी पुत्र । 5. उदयवंत पितृव्य सं शिवा स्वबभ्रातृ रबजी पुत्र सुंदरदास सषर स्खलघुभ्रातृ षीमजी सुत रविणी पितामहमात म नाथा पुत्र [मं] सूरजी प्रमुखपरिवारसहितन स्वयंकारितसप्राकारचीविमसाचलोपरि मूलोहारसारचतुर्मुखविहारशृंगारकश्रीआदिIn the same on the west image.-J. B. on the image _J.B. Read TTC - Read निर. * In the same, on the north image.-J. B
SR No.032556
Book TitleEpigraphia Indica Vol 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherArchaeological Survey of India
Publication Year1894
Total Pages596
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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