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________________ 2 4 10 12 14 16 Bengal Asiatic Society's Plate of Trilochanapala.-The Year 1084. सुद्धिश्री प्यार समीपादानामादाय मा राजा विवाद खाओतिक पा कुपागरुक हुडालमा जूडी मेरिलोक पलट महापापकथा या बा याक निकल ग जगत बराम गादत्त पालशाक असहायल या विदिश सीमात लय तालसमद अऊला लक्ष्यामा कख बाद लखाका ए घশধ । দদচাড় সऊ पितर वर हबशंका या हिललिविनिजता के लोक खिला हो गाजत हम्दीमलित किया माया पुण्यद बंद पाक कला मावलीसविलियन कु पथिटे पर पिता फँसायोगी नातिनाला तापतेव सस्ता पति स तहलका नाकाकुलाः काला पतयेो ना वा श्रीरामाला का दिन लगाएँ कचरा सा गाव के के हो । सुलाराज किसका कफि स क राराराई किरात सारासारबादा (गार क सहति ॥ सियःवतिया मिराका रूमति के कवि कालगति नामक जुलपति साहनी प्रदेस तिरा कामवाणाः इनिया करता तिला कि दल्योः एक दे J. F. FLEET, BO. C.S.. SCALE 38 W. GRIGGS, PHOTO-LITH.
SR No.032510
Book TitleIndian Antiquary Vol 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJohn Faithfull Fleet, Richard Carnac Temple
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages454
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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