SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 229
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 116. CHAULUKYA GRANT OF TRILOCHANAPALA.-SAKA 972. बंदद जापमसि द्विष्टा | विका रद्द बनि प्राका लक्षानुगामागु पुंगवास जानाका पत्यमात्॥२२॥ स्यादवितान की नियमि यायावत सहसा गयषागृह सावा वा मायावती समुद्र लवद्दति गीतासुः॥ २३॥नमा निति जोन नेहा लेव मनामा २४ ॥ आवादियमन व निरुता वायविषादात्माविका नायवती ईर्मनी जानती मावि ज्ञानिव समाज यातः पत्र साह कानदुवैका विको धनादिवादयत्री कर्णाल२६- निलमना माता तानि कानिसमा लान पि श्रीला ट्रामापातुकलिरुजीं॥॥॥या विमा गाय सा गुलगुरू योगपाल विक्रमः॥२॥ आमवात दिन विद्यानानि ॥ ॐ मिनाथ खुगल सुकाठ माता नवपुसवला महामातमिति सात स्यानश्वावादिकला वास गरुबाट समान तस्या वल. या द्रक्तमा प्रबल मानावाला
SR No.032504
Book TitleIndian Antiquary Vol 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages390
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy