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________________ YADAVA INSCRIPTION FROM PATNA SAKA 1075. नमः शिवाय याने मनपादप्रकाश प्रकाशन व कारादोसा मत याक प्रदानको गारवा खरं द्विषामा प्यायको दाय को न येक नादितंज ठग दिये पाया सरीका सुख सिमसार महावंशाजा संग के छतिनामनृपतिस्थावदवियुतः नारा लगी मुखाः दिगोपनमा पाउ मिठा दिनानामतः॥ वशेन इतिकता नृपतेः श्री कृलयात वहिरंगात कि निपालमो कि कम गतिः। जात नवनवतोयोगीता गोविंद गोविंदा दपिलो वनः पुनुर पाल डामणिः पुत्रस्पतिक नवंश निलकी कलर कोतवादास की निशु विभूतयः साकरिता रसादया पीह पिबति पुटाके दिॐ दिनो आत वनयावनतारमा पावन हा गति श्रीदास वसुदेवदेवक सुतार हार गया जिवाि पूचा पालक मिं गजमदानः स्वगैर्जगाम ।। उक्की एवं फलकस्व गुणासः विपत सा स्टमिदेवादा कीर्तियत्यंत सत्य मुनशी मार्य नाग | कृष लिया महादनिश डिझेल व गृह्णी निदेव किमिति प्रकर्ष हाने । की डासामपि दन्नमस्ता हनमहत्या व मुताषिते दिवे लाव ॥ हितविहितत: दुरसुतः कीर्तिचंद्र राज परिवहन निःसगड वितारः हमल नानुकले कृशानु || दर्द हु के मंत्री नेता विससायते यद्यशः। नासीर प्रविष्यतितितिनिर्ह प्रोवाक्कासामु श्री रापमः। (शकर्म नायकत्व काय अदापक लिहत युगायते ।।। श्रीदेवी राठी हिरानी सतीजा राज्ञा निताजनसा नि गोरा टीका गुवादिकीर्भिः किमु सुंदर मच किसी लापता किंदा नै प्रतिपन्नपालन गुस्पा किं वरणीते ॥ कृषम मारो दुस्सा नवाह्म (लसा खुद कुमुदा काटायचं डोसास सर्न नुविनापदः स्याम र प्राविद्विपकुं नयी ब्लु नपा के उकंठी रदः।। टीवी नृपनीभिर्विततलखलखलता कंदकः तारारोहिन विद्वान् ततचतुः श्रीवं गदे हंजोय नवा पागा काता. होता ।। इष्टः सुतस्पर्द्ध मे वृद्विः सकलाई सिहि नितिन सर्व तिलाः श्रीमंगटे वेसनित्तम। वाचस मुशनान वेज किंवा नितिर्नृपतिराना मार्विनाम हिम मुह नादवतीले अत्र त्रिसुनाउनु र नगदे ।। वर्ष 100 विकेम (कपाल कालो मुखसरे ॥ म साना सारसंसार गति फलमा पुष पंत मदनदहन मायामा समान मानून विता विन दयावे किंचिदन जल्लो लेलो लगत है। तत्र लिनीदलले मात्र सन विदयाता॥ ॥व नामानं या देशी देवानुमतेपात्पतिष्य मकरायदा ॥॥॥ W.GRIGGS PHOTO-LITH, PECKHAM, ORIGINAL INCHES..
SR No.032500
Book TitleIndian Antiquary Vol 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages404
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size19 MB
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