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________________ YADAVA GRANT OF KANHARADEVA. "वाया। आग तथ महासघ दंष्ट्रा मात्र हर्षा द्विगुणं घंटुवेरा 11113 FERTIL बनायन मणा पाया दाम प्रतिविविता। अंगादिवा बतास राजा सिंद्ध का सितुवान पछिता हरिकार्तिवत्यो गाऊं तुगिनीमसिंह पीतपावतः ॥ जनितोयदु वंशा वो पाया धाविष माभातसा पुत्रेो महातजाःया कन्हार जाने तय दाजी शिरसावृपतिवेति सुरिवाना नृपा गाऊंजय तिज गति राजा स वनूपा लामोलि प्रधित परमन प्रोल्लसत्याद पद्माय दुकुल विरलाल वा सुदिविड ना नान घन कमलस् यः प्रति मा क ह रा ख्यः। तस्वान्यः दिति पालमो लिं मकुद पत्यूरान नरविंद युगलः शिर्षस्य पृथ्वी प्रांतः रहनामा त्यधुरि खिता विजयात वा वाग्रहः संततं मल्लाख्यः क्लविक्काद वतनयः प्रात स्वंग तकी र्त्तितुविति स्वं पुत्रो महातजाः श्री कन्हार ू तिशू तथा यो जिद्वा पृधिवीरा स्याया गहौद हिसि 58।। प्रशस्यन्यः प्रगृहीतवात्पाद दाति वांघीकृप या जिन्यं 81 श्री सोमना घाधि युगा वन या प्रवर्द्ध ताशेषविस्मृति गं म्प:।। ं । । स्वस्ति 17 कसप्तत्युत्तराता "धक सहस सारख्या बुरा का देतषु वर्तमान सम्ब सेवसारत देतगता पाठ पस्पशाने व वा वीबाट नानविधृति योगे इश्वं तं तपु एप कालै गऊः सबर्दशाधिकां ग स मल्लिसिटि नामामा यः मुदुगलगा मे वसंतदनुजया व दे वा न समये श्री सोम बाघस नियो महाधार्मिकवी नायक बिज्ञापन या वाधिकार विषये कुटुं दिदेरोह चल्लिंद्वा दर्शग्गमा स्वत ने संध्य् बाग वा डिसह के ग्रामसग वे सीमा वदे वपु उसने त्याहात्रिंश संख् केन्या नानागत्या सामद‌क्षिण‌दि गुलागि
SR No.032499
Book TitleIndian Antiquary Vol 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages386
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size17 MB
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