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________________ Pra Son SALOF61 INSCRIPTION, Side स्वस्तिथीः य छवि व रुपिया व व ता ख का मग मम दलले कवया मान्य हो या न इसम 81 क बा लामा पाठों पर पाविक षषिपाते पषसुताय युगमावामय पियप ईमा के पर्याय मात्रै निघाले रहेर परे लावावावाय यमनिलामा माप पर्षया पनमपसुप/पत्यावी पदीयायाचार व पायसवमा पतमका पिहयामपविवी वापर वाल पबचमाया माना गये टोरिच जीरा पाटावनाकारतरटप मदाबाद मारना 7 पटा पोरनबरं व सनिय मारनापालटाल पर: ८ पित यस न क रादि सोरटया परपाठ का पनि केरल का निपटापुहे व का पनि टा . पारिजा की वासने पनि शिवरायाचा पल तिद वापली मा मात कवि पाटया मे याविट्टा बिहारी वाय राजमम तापमा Govt. Litho. Press, Boubay 1872
SR No.032493
Book TitleIndian Antiquary Vol 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJas Burgess
PublisherSwati Publications
Publication Year1984
Total Pages430
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size22 MB
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