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________________ २०२] [મહામીણ ચિંતામણિ m omooooooooooooooooooooooooooooooooooomomosomeaawa श्री गौतमस्वामि अष्टकम् [sal : Ald] ॐ नमः सकलकल्पच्छिदे, भूर्भुवः स्वस्त्रितयवंदितांध्रये। सर्वसिद्धिफलदायतायिने, गौतमान्वयसरोजभास्वते ॥१॥ वर्धमानपदपंकजालये, सर्वलब्धिपुरुषार्थरूपिणे । श्रीन्द्रभूतिगणभृद्वराय तेऽर्हन्मयाय परमेष्ठिने नमः ॥२॥ श्रीह्रीलक्ष्मीकान्तिकीर्तिधृतीनामेकावासं मुक्तसंसारवासं । दिव्याकारं ज्ञानरत्नत्रयाद्यं, भक्त्या नित्यं नौमि तं श्रीन्द्रभूतिम् ॥३॥ समग्रवेदागमगीतनाद-जन्मावनिं शुद्ध-विभूषणांगी। चतुर्भुजैर्या सुभगा सरस्वती, श्री गौतमं स्तौति निपीड्य पादौ ॥४॥ या मानुषोत्तरमहीधरमौलिरलं, सुस्वामिनी त्रिभुवनस्य गजाधिरूढा। नानायुधान्वितसहस्रभुजा क्षितारिः, श्री गौतमक्रमजुषां शिवमातनोतु ॥५|| देवी जयादिसहिता निधिपीठसंस्था, देवासुरेन्द्रनरचित्रविमोहिनी या । देहप्रभाजितरविः सुकृतोपलभ्या, श्रीः श्रीन्द्रभूतिमभिनम्य सेवते ॥६॥ यो यक्षषोडशसहस्रपतिर्गजास्यो, दिव्यायुधप्रबलविंशभुजस्त्रिनेत्रः। स द्वादशांगसमयाधिपतित्वमाप्तः श्री गौतमक्रमजुषो गणिपिट्टिनामा ७।। इन्द्राश्चतुःषष्टिरथापि विद्यादेव्यस्तथा षोडशशासनेशाः। द्विधा चतुर्विंशतिदेवताश्च, श्री गौतमस्यांह्रियुगं भजति · ॥८॥ ||१|| amana श्री जिनप्रभसूरिप्रणीतं (प्राकृत रचना) श्री गौतमस्तोत्रम् जम्मपवित्तिय सिरि मगहदेस अवयंस गुब्बर गामं गोयमगुत्तं सिरि इंदभूइ गणहारिणं नमिमो वसुभूइकुल विभूसण! जिट्ठाउडुजाय! कंचणच्छाय ! पुहवी उअर सरोरुह मराल ! तं जयसु गणनाह ! समचउरंसा गिइ मय! संघयणं वज्जरिसहनारायं कलयं ते कावि सिरि देहे तुह सत्त कर तुंगे सह दस दिएहिं जण्णं मज्झिम पावाइ तुह कुणंतस्स माणो विहु बोहिफलो अहेसि तुह वीर दंसणओ ॥२॥ ॥३॥ ॥४॥
SR No.032491
Book TitleMahamani Chintamani Shree Guru Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNandlal Devluk
PublisherArihant Prakashan
Publication Year
Total Pages854
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size42 MB
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