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________________ प्रस्तावना मैं स्व. हजारीमलजी साहब बांठिया का अत्यन्त आभारी हूँ कि उन्होंने 'जैन विभूतियाँ' ग्रंथ की प्रस्तावना लिखने का दायित्व मुझे दिया। उनकी अचानक मृत्यु से जैन समाज की अपूरणीय क्षति हुई है। ग्रंथ के लेखक श्री माँगीलाल भूतोड़िया साहब से ग्रंथ की रूपरेखा पर चर्चा के दौरान मैं भी ग्रंथ के पूर्व नाम "जैन शलाका-पुरुष'' से सहमत नहीं था। मुझे खुशी है ग्रंथ का परिवर्तित नाम "जैन विभूतियाँ'' बहुत ही उपयुक्त है। ''ओसवाल जाति का इतिहास'' के लेखक श्री भूतोड़िया से मेरा परिचय है। उनकी शोधपरक वृत्ति एवं बोधगम्य सरल लेखन शैली से मैं बहुत प्रभावित हूँ। जैन विभूतियाँ ग्रंथ के लिए 108 इतिहास पुरुषों का चयन उन्होंने निष्पक्षता पूर्वक एवं उनके जीवन प्रसंगों का लेखन बड़ी सूझबूझ से किया है। परम ''गाँधीवादी महात्मा भगवानदीन'' एवं सर्वधर्म समीक्षक "आचार्य रजनीश'' को ग्रंथ के जैन-नायकों में सम्मिलित कर उन्होंने साहस एवं अपनी रचनाधर्मी सुयोग्यता का परिचय दिया है। जैन समाज के 20वीं सदी के दिवंगत महापुरुषों की सूचि बहुत लम्बी एवं विवादास्पद हो सकती है एवं सभी को सम्मिलित करना सम्भव नहीं होता। अत: लेखकीय प्रतिबद्धता का ईमानदारी से निर्वाह कर श्री भूतोड़िया साहब ने ग्रंथ का जो स्वरूप निखारा है वह अवश्य ही प्रशंसनीय है। मुझे आशा है कि समाज उनकी इस श्रम साध्य प्रस्तुति से लाभान्वित होगा। देवेन्द्र राज मेहता
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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