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________________ जैन- विभूतियाँ 98. श्री मेघराज पेथराज शाह (1904-1964) 384 जन्म : दबा संग (कच्छ), पिताश्री : पेथराज शाह पद 1904 : राज्य सभा सदस्य, 1955 दिवंगति : 1964 गलियों की गर्द से उठ अपने अध्यवसाय से ऐश्वर्य के महल खड़े कर सम्पत्ति का जन-कल्याण के लिए सही उपयोग करने वाले श्रेष्ठि की यह अनुपम यश गाथा है। कच्छ से प्रवसित होकर संवत् 1597 के करीब जामनगर (काठियावाड) के हलारी तालुक में बसने वाले बीसा ओसवालों में शाह घराना भी था। दबा संग ग्राम में बसे पेथराज मामूली खेती बाड़ी कर दिन गुजार रहे थे। संवत् 1961 में मेघजी भाई का जन्म हुआ । उनका बचपन अभावों में बीता। पांचवी कक्षा तक शिक्षा पाकर वे गांव के ही स्कूल में आठ रुपए माहवार पर अध्यापक बन गए। संवत् 1975 में उनका विवाह जैसिंह शाह की सुपुत्री मांगी बाई से हो गया। प्रथम महायुद्ध के समाप्त होते-होते सौराष्ट्र के अनेक बीसा ओसवाल पूर्वी अफ्रीका जाकर बसने लगे थे। किशोर मेघजी भाई में भी ललक जगी। माँ के जेवर गिरवी रखकर किसी तरह पैसों का जुगाड़ किया और संवत् 1976 में मेघजी भाई मोम्बासा आए । वहाँ 'कानजी मेपा कम्पनी' में तीन सौ रुपए सालाना पगार पर खाता बही लिखने के काम पर लग गए। तब पूर्वी अफ्रीका में हिन्दुस्तानी रुपये का ही चलन था। तीन वर्ष बाद मालिकों ने मेघजी की ईमानदारी एवं कार्य कुशलता से प्रसन्न होकर पगार पन्द्रह सौ रुपए सालान कर दी। कुछ वर्षों बाद फर्म बन्द हो गई। मेघजी नैरोबी चले गए एवं मोम्बासा से फुटकर सामान ले जाकर नैरोबी में बेचना शुरु किया । संवत् 1979 में उनके दो भाई
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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