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________________ जैन- विभूतियाँ गुरुकुल गुजरानवाला के भी अध्यक्ष चुने गए। सन् 1938 में मंडोली में आयोजित मारवाड़ प्रांतीय जैन कॉन्फ्रेंस की आपने ही अध्यक्षता की। 348 आपने व्यापार के क्षेत्र में बैंकों का सफल संचालन किया। मुंबई मर्चेंट बैंक की रंगून बांच में आप एजेन्ट की हैसियत से एवं पूना बैंक की मुम्बई शाखा में मैनेजर की हैसियत से कार्यरत रहे । आप ग्वालियर राज्य के कोर्ट ऑफ वार्ड्स के सदस्य रहे। बांसदा (गुजरात) में आप राज्य के स्पेशल ऑफिसर नियुक्त हुए। सन् 1937 में चतुर्थ अखिल भारतवर्षीय ओसवाल महासम्मेलन के कलकत्ता अधिवेशन के आप अध्यक्ष मनोनीत हुए। इस सम्मेलन में देश के विभिन्न भागों से आए प्रतिनिधियों के अलावा अन्य जातियों एवं राष्ट्र के शीर्षस्थ नेताओं को आमंत्रित किया गया था । महाराजा भावनगर, महाराजा त्रिपुरा, लक्ष्मी निवासजी बिड़ला, भागीरथजी कानोड़िया प्रभृति सज्जनों का मार्गदर्शन भी समाज को मिला। इसी सम्मेलन में समाजभूषण छोगमलजी चोपड़ा आदि सज्जनों ने "जैन धर्म की संस्कृति एवं आदर्श" को ओस्त्रवाल जाति की मूल प्रेरणा एवं आदर्श रूप में मान्यता दिए जाने सम्बन्धी प्रस्ताव रखा था जो सम्मेलन ने अस्वीकार कर लिया। इसी सम्मेलन में एक क्रांतिकारी प्रस्ताव भी पारित हुआ-जाति बहिष्कार की विघटनकारी प्रथा के विरुद्ध। श्रीसंघ-विलायती विवाद की अमंगलकारी प्रथा की पुरजोर शब्दों में भर्त्सना की गई । सन् 1931 में राज्य सेवाओं से निवृत्ति के बाद आपने अपनी जन्मभूमि मारवाड़ में विद्या प्रसार को अपना मिशन बना लिया। उन्होंने उम्मेदपुर एवं फालना में एक आवासीय स्कूल की बुनियाद रखी जिसने बाद में कॉलेज स्तरीय सक्षमता हासिल कर ली। सन् 1952 में श्री गुलाबचन्दजी ढढ़ा का पार्थिव शरीर पंच तत्त्व में विलीन हो गया। उनके सुपुत्र प्रसिद्ध सर्वोदयी नेता श्री सिद्धराजजी ढ़ढ़ा राष्ट्र सेवा में संलग्न हैं ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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