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________________ 342 जैन-विभूतियाँ 85. सेठ कस्तूर भाई लाल भाई (1894-1980) जन्म पिताश्री माताश्री पद/उपाधि दिवंगति : अहमदाबाद, 1894 : सेठ ललभाई : मोहिनी बाई : पद्मभूषण (1969) : अहमदाबाद, 1980 आधुनिक भारत के उद्योगपतियों में गुजरात के ओसवाल श्रेष्ठि कस्तूर भाई लालभाई अग्रगण्य थे। आपके पूर्वज श्री शांतिदास जौहरी की मुगल दरबार में बड़ी आवभगत थी। बादशाह जहाँगीर ने उन्हें नगरसेठ की पदवी बख्शी एवं हमेशा 'मामा'' कहकर बुलाते थे। बादशाह शाहजहाँ के 'मयूरासन' के निर्माण में धन एवं रत्न मुहैया कराने का श्रेय सेठ शांतिदास को ही था। इनके प्रपौत्र सेठ लालभाई प्रसिद्ध उद्योगपति थे। उन्होंने सन् 1896 में रायपुर मिल की स्थापना की। सेठ लालभाई समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे एवं सरदार कहलाते थे। उनकी धर्मपरायणा पत्नि मोहिनी बाई की कुक्षि से अहमदाबाद में 19 दिसम्बर, 1894 के दिन कस्तूरभाई का जन्म हुआ। हाई स्कूल की मैट्रिक परीक्षा सन् 1911 में पास की। बचपन से उनमें राष्ट्रप्रेम के संस्कार पड़े। अचानक जब वे मात्र 18 वर्ष के थे तो आपके पिता दिवंगत हो गये। तभी से आपने कारोबार सम्भाला एवं जल्द ही उन्नति के शिखर पर पहुँच गये। ___आपने टाईम कीपर व स्टोर कीपर के पदों से कार्य की शुरुआत की एवं अपनी मेहनत के बल पर उद्योग के सभी आयामों का प्रत्यक्ष अनुभव लिया। जिलों में भ्रमण कर कपड़ा उद्योग के सभी पहलुओं एवं बारीकियों का अनुभव हासिल किया। सन् 1914 में विश्वयुद्ध छिड़ जाने से कपड़े उद्योग में खूब उत्तेजना आई। रायपुर मिल भारत की श्रेष्ठ मिलों में गिनी जाने लगी। सन् 1915 में आपका विवाह अहमदाबाद के अग्रगण्य जौहरी श्री चिमनलाल की सुपुत्री शारदा बहन से हुआ। सन् 1921 के काँग्रेस
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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