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________________ 274 जैन- विभूतियाँ 64. श्री रामचन्द्र जैन (1913-1995) जन्म : किकरवाली (श्रीगंगानगर), 1913 पिताश्री : छोगमल सिरोहिया सृजन The most ancient Aryan Society (1964), The Ethnology of Ancient Bharat, The Great Revolution, Ancient India, Jaya दिवंगति : 1995 प्रागैतिहाििक भारत की खोज एवं श्रमण संस्कृति के सही अवदान को वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत करने वाले इतिहासकार विरले ही हुए हैं। हमारे यहाँ ऋग्वेद की ऋचाओं से ही भारत की आदि सभ्यता को रेखांकित किये जाने की परम्परा चली आ रही थी । "आर्यों को मध्य एशिया से सत्ता और सम्पत्ति की टोह में उठा आतताइयों और आक्रमणकारियों का हजूम' सिद्ध करने वाले खोजी इतिहासकारों की श्रेणी में श्री रामचन्द्र जैन अग्रणी हैं। बहुमुखी प्रतिभा एवं आकर्षक व्यक्तित्व के धनी श्री रामचन्द्र जैन का जन्म गंगानगर जिले के किकरवाली ग्राम में सन् 1913 में हुआ । आपके पिता श्री छोगमलजी सिरोहिया का देहावसान आपके जन्म के दो माह पूर्व ही हो गया था । मात्र चार वर्ष की अवस्था में आपके ऊपर से माँ की ममता का साया भी काल के क्रूर हाथों ने छीन लिया। पाँचवी कक्षा तक पढ़ने के बाद नानाजी ने उनसे पैतृक कार्य के रूप में दूकान पर बैठने के लिए आग्रह किया किन्तु बालक रामचन्द्र के मन-मस्तिष्क में उच्च अध्ययन और कुछ अलग से कर गुज पढ़ाई के प्रति उनकी अभिरूचि को उन्हें उच्च अध्ययन के लिए बीकानेर भेजा। य नम के कला संकाय से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। स्वाप.. विद्यार्थी जीवन से ही घर कर गया था। अपने अध्ययन का खर्च निकालने के लिए वे अध्यापन और अनुवाद का कार्य करने लगे । ܘ
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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