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________________ 222 जैन-विभूतियाँ न मानी। आखिर पर्दा समाज से विदा लेकर ही रहा। इसी तरह विवाहों में होने वाले आडम्बर, फिजूलखर्ची एवं दिखावे के खिलाफ भी उन्होंने आन्दोलन किया। इन कार्यों में उनके बहुत से दुश्मन भी बने। संवत् 2012 में "बाल दीक्षा निवारक विधेयक'' के समर्थन में कोलकाता स्थित जैन भवन में हुई एक सभा में धार्मिक सम्प्रदाय के कट्टरपंथियों ने उन पर प्राणघाती हमला किया। हॉल की बिजली गुल कर लोहे की छड़ों से उन पर अंधाधुंध वार किये गए। 48 घंटे बाद उन्हें होश आया। अरिवल भारतवर्षीयमारवाड़ीसम्मलन संयोजक-मारवाड़ीसम्मेलन १६७६ : मारवाडी सम्मेलन के १२वें अधिवेशन में प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए मारवाड़ी समाज ने उनकी अनगिनत सेवाओं का समुचित सम्मान करते हुए संवत् 2030 में रांची में हुए अखिल भारतवर्षीय मारवाड़ी सम्मेलन का उन्हें अध्यक्ष चुना। पहली बार एक पूँजीपति श्रेष्ठि की बजाय एक मामूली नौकरी पेशा व्यक्ति को अध्यक्ष चुन कर समाज ने उनके अमूल्य अवदान का उचित मूल्यांकन किया। संवत् 2033 में हैदराबाद में हुए सम्मेलन में उन्हें पुन: अध्यक्ष चुना गया। सम्मेलन के इतिहास में यह पुनरावृत्ति भाी पहली बार हुई। यह सिंघीजी के संघर्षशील उदात्त व्यक्तित्व का शीर्ष बिन्दु था। 'मारवाड़ी' शब्द जो अपनी साख पूर्णतया खो चुका था, सिंघीजी ने उसे प्रणम्य बना दिया। संवत् 2043 में जीवन के 70 वर्ष पूरे कर लेने पर कोलकाता में श्री भगवती प्रसाद खेतान की अध्यक्षता में बनी अभ्यर्थना समिति द्वारा सिंघीजी का सार्वजनिक अभिनन्दन किया गया। संवत् 2043 में जयुपर में उनका देहावसान हुआ।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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