SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 243
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 219 जैन-विभूतियाँ कारण उनकी तबीयत बहुत शोचनीय रहने लगी तब उन्हें अस्पतला में स्थानान्तरित किया गया एवं अन्तत: संवत् 2002 में रिहा किया गया। संवत् 2003 में सिंघी जी ने सामाजिक क्रांति में एक नया पृष्ठ जोड़ा। उन्होंने बाल विधवा 'सुशीला जैन' से पुनर्विवाह किया जिसे मारवाड़ी समाज के गणमान्य नेताओं का आशीर्वाद प्राप्त हुआ। यह विवाह रूढ़ परम्पराओं को तिलांजली देकर हुआ एवं इसमें पौरोहित्य भी एक महिला ने किया। जब संवत् 2003-4 में बंगाल में साम्प्रदायिक दंगे भड़क उठे तो सिंघीजी एवं सुशीला जी ने 'बड़ा बाजार अमन सभा' के तहत मुसलमानों की सुरक्षा व्यवस्था में अहम भूमिका निभाई। देश आजाद होने के बाद जब नेतागण अपने राजनैतिक प्रभाव को भुनाने में लग गए तब सिंघीजी राजनीति को ठोकर मार कर सामाजिक सुधारों के अभियान पर निकल पड़े। 'नया समाज' के माध्यम से सिंघीजी का लेखन एक बार फिर सक्रिय हुआ। संवत् 2006 में उन्होंने कोलकाता में एक विराट सामाजिक क्रांति सम्मेलन का आयोजन किया जिसका सभापतित्व राजस्थान के तात्कालीन नव नियुक्त उद्योग मंत्री श्री सिद्धराज ढढा ने किया एवं उद्घाटन किया श्रीमती अरूणा आसफअली ने। इस सम्मेलन की एक ओर उपलब्धि भी थी-मिनर्वा थियेटर में विष्णु प्रभाकर द्वारा लिखित एकांकी नाटकों का समाज कर्मियों द्वारा सफल मंचन। इन नाटकों में मारवाड़ी समाज के अनेक युवकों-युवतियों ने भाग लिया। ऐसा लगा कि समाज सुधार आन्दोलन में ये नाटक महत्त्वपूर्ण माध्यम बन सकते हैं। इसी की फलश्रुति थी प्रसिद्ध नाटककार तरूण राय के साथ मिलकर थियेटर सेंटर' की स्थापना। इस सेंटर द्वारा बहुभाषी नाट्य प्रस्तुतियों के साथ नाटक समारोह भी आयोजित किए गए। प्रमुख नाट्य संस्थान अनामिका को अस्तित्व में लाने एवं प्रसिद्ध नाट्यकर्मी श्रीमती प्रतिभा अग्रवाल एवं श्यामानंद जालान को मंच पर लाने का श्रेय सिंघी जी को ही है। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार पाने वाली अनामिका की प्रस्तुति 'नये हाथ' में सिंघीजी की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। संवत् 2037 में अनामिका के रजत जयंती वर्ष पर नये हाथ का पुन: मंचन हुआ तो सिंघी जी ने 66 वर्ष की अवस्था में एक बार फिर वह भूमिका निभाकर सबको अचंभित कर दिया।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy