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________________ 166 जैन-विभूतियाँ श्रीमती (स्वर्गीया) सुगन्ध कुमारी से हुआ जो उदयपुर के प्रतिष्ठित सर्राफ श्री मगनलालजी दलाल की ज्येष्ठ पुत्री थी। आपने अपना जीवन कलकत्ता में “यात्री मित्र'' पत्रिका के सम्पादक के रूप में प्रारम्भ किया। इस पत्रिका में रेल्वे टाइम टेबल, पर्यटन सम्बन्धी जानकारी तथा रोचक पठनीय सामग्री का समावेश किया जाता था। वहाँ से लौटकर आप उदयपुर में जैन पाठशाला के प्रधानाध्यापक बने और इसी कारण श्री मेहता ‘मास्टर साहब' के नाम से विख्यात हैं। आपकी 'मेवाड़ी दिग्दर्शन', 'राजपूताने का भूगोल' तथा 'बालोपयोगी व्याकरण' पाठ्य-पुस्तकें वर्षों तक मेवाड़ की शिक्षण संस्थाओं में सरकार द्वारा मान्य होकर पढ़ाई जाती रही। आपने 'भक्तिमत्ती मीरां बाई', 'फोर्ट ऑफ चित्तौड़गढ़' आदि पुस्तकें भी लिखी। आपने मात्र 16 वर्ष की आयु में ही प्रताप सभा की स्थापना की एवं महाराणा प्रताप के उच्च आदर्शों का प्रचार-प्रसार किया ! आपने युवावस्था में लाहौर एवं कराँची में आयोजित काँग्रेस अधिवेशनों में सहभागी बनकर भाग लिया। श्री मेहता ने सरदार भगतसिंह के साथियों को शरण देकर उन्हें हथियार चलाने और सुलभ कराने की सुविधाएँ प्रदान की। इससे देश के जांबाज क्रान्तिकारी देशभक्तों को प्रेरणा मिली। यहाँ वे ब्रिटिश प्रान्तों के गुप्तचरों और पुलिस के जाल से मुक्त होकर अपना पूरा समय हथियार परीक्षण व प्रशिक्षण में लगाने लगे। 24 अप्रैल, 1938 को श्री मेहता ने पूर्व पुश्तैनी निवास साहित्य कुटीर, सोना सेहरी में मेवाड़ प्रजा-मण्डल की स्थापना की और प्रथम अध्यक्ष बने । उत्तरदायी शासन की माँग कर आन्दोलन करने के कारण आपने अनेक बार लाठियों की मार खाई एवं आपको नौ मास तक सराड़ा जेल मास्टर बलवंतसिंह मेहता को सन के कारावास में रहना पड़ा। महात्मा गाँधी के 1938 में आजादी के आन्दोलन के 'भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान भी श्री राम दौरान जेल से रिहाई के बाद प्रशंसकों " ने फूलमालाओं से लाद दिया। |
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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