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________________ 149 जैन-विभूतियाँ डॉ. हीरालाल तब तक 1 पुत्र व 5 पुत्रियों के पिता बन चुके थे। उनकी सहधर्मिणी सोना बाई का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा। वे हृदय रोग से ग्रस्त होती जा रही थी। उनकी चिंता एवं अन्य पारिवारिक कठिनाइयों ने उनका शोध एवं लेखन कार्य कुछ समय के लिए अवरुद्ध रखा। इस बीच वे अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद् के खंडवा अधिवेशन के अध्यक्ष चुने गए। उनके शोधकार्य की ख्याति चारों ओर फैल रही थी। इसी अधिवेशन में विदिशा के सेठ लक्ष्मीचन्दजी के दस हजार रुपए के अवदान से 'षटखंडागम' एवं धवला टीका के सम्पादन, प्रकाशन की योजना बनी। सन् 1938 में सहधर्मिणी सोना बाई की इहलीला समाप्त हो गई। लोकाचार निमित्त मूडविद्री के भट्टारकजी का सन्देश एक श्राप बनकर आया। उन्होंने लिखा था-"हीरालाल, यह तेरी पत्नि का मरण तेरे इस पवित्र ग्रंथ के प्रकाशन कार्य प्रारम्भ का दुष्फल है।" अवश्य ही तब तक परम्परावादी महंत और आचार्य प्राचीन आगमों एवं शास्त्रों का लोकार्थ प्रकाशन बुरा मानते थे। डॉ. हीरालाल इस श्राप से तनिक भी विचलित नहीं हुए। उन्होंने भट्टारक जी को पत्र लिखकर जैन संहिता के कर्म सिद्धांत का स्मरण दिलाया। उनके कर्मों का फल पत्नि को भोगना पड़े, यह असंभव है। . प्रो. हीरालाल के अनवरत अध्यवसाय से 'धवला' की पहली पुस्तक सन् 1938 में प्रकाशित हुई। प्रो. हीरालाल ने इसकी पहली प्रति भट्टारकजी को समर्पित की। भट्टारक जी का मन पिघल गया। फिर तो उन्होंने मूडबीद्रि ग्रंथ भंडार से अनेक ताड़पत्रीय हस्तलिखित ग्रंथ प्रोफेसर साहब को उपलब्ध कराए। षटखंडागम का विषय भगवान की द्वादशांगी वाणी का अंतिम अंग 'दृष्टिवाद' है। बारह अंगों के ज्ञाता श्रुत केवली थे। जब श्रुतज्ञान का लोप होने लगा तो धरसेनाचार्य ने पुष्पदंत एवं भूतबलि नामक दो मुनियों को उनका अध्ययन कराया। षट्खण्डागम के प्रथम 20 अधिकारों की रचना पुष्पदंत ने की और शेष समस्त ग्रंथ के कर्ता भूतबलि हैं। यह पूरा ग्रंथ सूत्र पद्धति से लिखा गया है। इसके अंतिम टीकाकार वीर सेनाचार्य ने इसे "खंड सिद्धांत'' नाम दिया। इससे पूर्व कुंदकुंद, श्यामकुंड, तम्बूलर, समन्तभद्र और वप्पदेव ने भी ग्रंथ की
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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