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________________ जैन-विभूतियाँ 137 'राजनीति विज्ञान' पुस्तक हिन्दी साहित्य सम्मेलन द्वारा समादृत हुई एवं 'भारत के देशी राज्य' पुस्तक राजस्थान में पाठ्य-पुस्तक के रूप में स्वीकृत एवं इन्दौर से पुरस्कृत हुई। आपने जिस 'अंग्रेजी हिन्दी कोष' (20000 शब्द) की दस खण्डों में रचना की थी उसे डॉ. वुलनर, डॉ. गंगानाथ झा, सर पी.सी. राय एवं डॉ. राधा कुमुद मुखर्जी ने भारतीय साहित्य का 'अटल स्मारक' कहकर सराहा था। इसके अतिरिक्त बाम्बे क्रानिकल, पायोनियर, ट्रिब्यून आदि प्रतिष्ठित पत्रों ने इसे भारतीय साहित्य का सबसे बड़ा प्रयत्न माना। प्रताप, भारत, स्वतंत्र, भारतमित्र, अभ्युदय आदि बीसों राष्ट्रीय पत्रों में इस ग्रंथ के महत्त्व एवं उपयोगिता पर सम्पादकीय लिखे। आप तात्कालीन अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य थे। सन् 1920-29 के स्वतंत्रता आन्दोलन में आपने सक्रिय भाग लिया था। इन्दौर में देशी राज्यों की पहली कांग्रेस की स्थापना का श्रेय भी आपको है। आप उसके संयुक्त मंत्री चुने गए। आपने सन् 1934 में 'ओसवाल जाति का इतिहास' लिखकर अजमेर से प्रकाशित करवाया। सालों अध्यवसाय व शोध संलग्न रहकर यह भागीरथ कार्य सम्पन्न करने के लिए समाज आपका चिर ऋणी रहेगा। भारत के दूरंदाज प्रदेशों में प्रवासित ओसवाल परिवारों के विवरण संकलन करना आसान काम न था। अत्यधिक लेखन श्रम से स्वास्थ्य पर असर पड़ा। सन् 1961 में इलाज हेतु आप इन्दौर गए। वहीं नवम्बर 1961 में आपका निधन हुआ। ___ भंडारी जी की कीर्ति को अक्षुण्ण बनाए रखने वाली उनकी सुपुत्री मन्नू भंडारी हिन्दी की यशस्वी कथाकार हैं। उनके पति राजेन्द्र यादव ने हिन्दी कथा को नये आयाम दिए हैं।
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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