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________________ 123 जैन-विभूतियाँ सामाजिक रिवाजानुसार मात्र 13 वर्ष की उम्र में ही उनका विवाह दिल्ली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं जैन समाज के सरपंच लाला प्यारेलालजी की सुपुत्री के साथ हो गया था। विधि का विधान कुछ और ही था। वह बालिका मंद बुद्धि एवं पागलपन के दौरों से ग्रस्त थी। कभी ससुराल आई ही नहीं। चम्पतरायजी दृढ़ निश्चयी तो थे ही। उन्होंने विधि के इस विधान को सहर्ष स्वीकार किया एवं आजीवन ब्रह्मचारी रहे। इंग्लैंड में पाँच वर्ष गुजारने से उनकी सोच प्रगतिशील एवं दृष्टि विशाल हो गई थी। वकालत जमने में समय नहीं लगा। जल्दी ही वे नामी वकीलों में गिने जाने लगे। वे अवध उच्च न्यायालय के मुख्य फौजदारी वकील नियुक्त हुए। अपने अध्यवसाय एवं सच्चाई से उन्होंने इस पेशे को गरिमा प्रदान की। वे Uncle Jain नाम से पहचाने जाने लगे। सन् 1913 में उनके प्रिय चाचा लाला रंगीलाल का देहांत हो गया। इस आकस्मिक अल्प वय की मृत्यु से चम्पतराय को गहरा आघात हुआ। मन की शांति के लिए उन्होंने आध्यात्मिक साहित्य का सहारा लिया। तभी सन् 1913 में आरा निवासी बाबू देवेन्द्र कुमार जी के जैन धर्म विषयक आलेख उनके हाथ आए। उनके अध्ययन से उन्हें समाधान और शांति मिली। यहीं से उनके जीवन ने एक बार फिर करवट ली। सूट-बूट-टाई धारी बैरिस्टर एकाध वर्ष में ही सादे जीवन एवं उच्च विचारों का हामी बन गया। इस आमूलचूल परिवर्तन ने उन्हें संत व धर्म प्रचारकों की श्रेणी में ला खड़ा किया। एक दिन में पचीसों सिगरेट फॅकने वाले युवक ने एकाएक उसका सर्वथा त्याग कर दिया। एकांत मनन, सत्य शोध एवं शांतिमय जीवन उनका ध्येय बन गया। इस समय उनकी उम्र लगभग 40 वर्ष थी। तभीसे जीवन पर्यंत वे जिनवाणी के प्रसार एवं समाज सेवा को समर्पित रहे। श्रावक के व्रतों की धारणा इतनी निष्ठापरक थी कि किंचित मात्र हेर-फेर उन्हें सहन न होता था। अचौर्य, सत्य एवं परिग्रह-परिमाण में वे इतने सतर्क रहते थे कि लोग आश्चर्यचकित रह जाते। लोग उन्हें सन्तान के लिए फिर विवाह करने व पुत्र गोद लेने की सलाह देते। चम्पतराजजी का जवाब होता- 'मनुष्य सन्तति से नहीं, अपने कर्म से महान् बनता है।" उन्होंने अपनी सम्पत्ति धर्म प्रसार में
SR No.032482
Book TitleBisvi Shatabdi ki Jain Vibhutiya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMangilal Bhutodiya
PublisherPrakrit Bharati Academy
Publication Year2004
Total Pages470
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size39 MB
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