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________________ [ 105 ] सब रुद्र दसवें पूर्व का अध्ययन करते समय विषयों के निमित्त तप से भ्रष्ट होकर सम्यक्त्व रूपी रत्न से रहित होते हुए घोर तरकों में डूब गये । रुद्रों का तीर्थ निर्देश दो रुद्र सुण्ण छक्का, सग रुद्दा तह ये दोणि सुण्णाई । रुद्द पण्णरसाई, सुण्ण रुद्रं च चरिमम्मि ॥14550 क्रमशः दो रुद्र, छह शून्य, सात रुद्र, दो शून्य, रुद्र, पन्द्रह शून्य और अन्तिम कोठे में एक रुद्र है । रुद्रों के शरीर का उत्सेध पंच-सया पण्णाहिय-चइस्सया इगि सयं च णउदी य । सोदी सत्तरि सट्ठी, पण्णासा अट्ठवीसं पि ॥1456॥ चवीस- च्चिय दंडा, भीमावलि - पहुदि-रुद्र- दसकस्स । उच्छेहो णिद्दिट्ठो, सग हत्था सच्चइसुअस्स ॥1457॥ भीमावलि आदि दस रुद्रों के शरीर की ऊँचाई क्रमशः पाँच सौ, चार सौ पचास, एक सौ, नब्बै, अस्सी, सत्तर, साठ, पचास, अट्ठाईस और चौबीस धनुष तथा सात्यकि सुत की ऊँचाई सात हाथ प्रमाण कही गई है । रुद्रों की आयु का प्रमाण तेसीदी इगिहत्तरि, दोण्णिं एक्कं च पुव्व-लक्खाणिं । चुलसीसी सट्ठि पण्णा, चालिस वस्साणि लक्खाणि ॥1458॥ वीस दस चेव लक्खा, वासा एक्कूण-सत्तरी कमसो । एक्कारस- रुद्दाणं, पमाणामाउस णिद्दिट्ठ ॥ 1459॥ तेरासी लाख पूर्व, इकहत्तर लाख पूर्व, दो लाख पूर्व, एक लाख पूर्व चौरासी लाख वर्ष, साठ लाख वर्ष, पचास लाख वर्ष, चालीस लाख वर्ष, बीस लाख वर्ष, दस लाख वर्ष और एक कम सत्तर वर्ष, यह क्रमशः ग्यारह रुद्रों की आयु का प्रमाण निर्दिष्ट किया गया है । रुद्रों के कुमार-काल, संयम काल और संयम भङ्गः काल का निर्देश सत्तावीसा लक्खा, छावट्ठि सहस्सयाणि छच्च सया । छावट्ठी पुण्वाणि, कुमार- कालो पहिल्लस्स ॥1460 प्रथम ( भीमावलि) रुद्र का कुमार काल सत्ताईस लाख छ्यासठ हजार छह सौ छयासठ पूर्व प्रमाण है । सत्तावीसं लक्खा, छावट्ठी - सहस्सयाणि छच्च सया । अड़सट्ठी पुग्वाणि भीमावलि -संजमे कालो ॥1461॥ भीमावलि रुद्र का यमकाल सत्ताईस लाख छयासठ हजार छह सौ अड़सठ पूर्व प्रमाण है ।
SR No.032481
Book TitleKranti Ke Agradut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanak Nandi Upadhyay
PublisherVeena P Jain
Publication Year1990
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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