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________________ (4) वाले ने कान्फ्रेन्स के सम्पूर्ण व्ययकी जिम्मेवारी अपने ऊपर लोथी । श्रीमान् बाबू आनन्दराजजी सुराणा जोधपुर वाले कान्फ्रेन्स के प्रत्येक कार्य की सूचना इत्यादि देने वाले साहसी विश्वासी दृढ़ पुरुष हैं धर्मात्मा सत्यावलम्बी श्रीमान् कानीरामजी तथा बाहादुरमलजी बांठिया भीनासर वालों ने श्रीपूज्यजी महाराज के सदुपदेश से अछूतों के उद्धारणार्थ विद्याध्ययन के लिए पाठशाला खोलने का विचार किया है। धर्मार्थ औष धालय और पुस्तकालय भी खोल रक्खा है । मुनिजी महारज के चार्तुमास में जो सज्जन दर्शन करने के लिए बाहर से पधारे उनकेलिए प्रबन्ध अच्छा किया और स्वागत बड़े प्रेमभाव से किया इतने धनाढ्य होने पर भी कुछ भी अभिमान नहीं है । हरेक सज्जन से बडे प्रेम से वार्ता करते हैं। धर्म में अतिरूचि है। श्रीमान् आनन्दमलजी श्रीमाल धर्मसम्बन्धी सम्मति देने वाले तथा कोमलवाणी नम्र स्वभाव के सज्जन हैं । श्रीमान् हजारीमलजी मंगलचंदजी मालू धर्म सम्बन्धी सम्मति देने वाले तथा बड़े प्रेमी सज्जन हैं श्रीमान् सतीदासजी तातेड़ निष्पक्षपाती अत्यन्त नेक और धर्म में दृढ़ी हैं। जैन के एक और नेता श्रीमान् लक्ष्मीचंदजी डागा थे। जिन का अब स्वगवास हो चुका है।
SR No.032479
Book TitleJain Me Chamakta Chand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKesharichand Manekchand Daga
PublisherKesharichand Manekchand Daga
Publication Year1927
Total Pages24
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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