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________________ लेना नहीं चाहते। आप हमें काम दो, काम का पारिश्रमिक दो। हम श्रम करेंगे और उसके बदले में आप हमें, बाजरी देना। पूर्णत: निःशुल्क बाजरी तो हम कदापि नहीं लेंगे।" वे दोनों उदार पुरुष धन से निर्धन परन्तु मन से महान् धनी उन लोगों का साहस और उनकी अद्भुत दृढ़ता देखकर सचमुच नतमस्तक हो गये। निःशुल्क लेने की वृत्ति आज जब मानव-समाज में अत्यन्त विस्तार पा रही है तब, आठ आठ अकालों में खाद्यान्न के अभाव में तड़पते होने पर भी नि:शुल्क अन्न नहीं लेने की इच्छा शक्ति से युक्त इन शिष्ट-जनों के चरणों में भला कौन नत मस्तक नहीं होगा? निःशुल्क प्राप्त अन्न बुद्धि भ्रष्ट करता है। मुफ्त में प्राप्त धन एवं धान्य मन को विकृत करता है, इससे हमारा साहस नष्ट हो जाता है, हम अपना मनोबल एवं स्वाभिमान खो देते हैं। शिष्ट पुरुषों की ऐसी उत्तम विचारधारा को विश्व में व्यापक बनाने की अत्यन्त आवश्यकता है और इसका सर्वोत्तम उपाय है - जहाँ जहाँ जिस की भी शिष्ट-जनों के योग्य प्रवृत्ति दृष्टिगोचर हो, वहाँ वहाँ उनकी अत्यन्त प्रशंसा करना। शिष्टाचार की प्रशंसा करना मार्गानुसारिता का द्वितीय गुण है। GOOGGERS 48 SOLDIESer
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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