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________________ तक नहीं है। * कोमल वस्तु बनाने के लिये हजारों निर्दोष खरगोशों को गरम गरम पानी में डाल कर भून दिये जाते * विषय वासनाओं के भूखे भेड़ियों की वासना की अग्नि बुझाने के लिये अनेक शैतान गाँवों की निर्दोष भोली किशोरियों को फुसला कर वेश्यालयों में ढकेलने में तनिक भी नहीं हिचकिचाते। * अपने सामान के विक्रय से धन उपार्जन करने के लिये अनेक व्यापारी मेल-मिलावट करने में और विषैले पदार्थों का मिश्रण करने में भी नहीं हिचकिचाते। * करोड़ों रुपयों की विदेशी मुद्राओं के लिये लाखों बन्दरों, मैंदकों, एवं मछलियों का सरकार द्वारा निर्यात किया जा रहा है। * गर्भपात को वैध बनाकर आकर्षक विज्ञापनों के द्वारा सहस्रों निर्दोष पंचेन्द्रिय जीवों की हत्या की जा रही है। यह सब क्यों हो रहा है? इसका केवल एक ही उत्तर है कि कहीं न कहीं धन उपार्जन करने की, अधिकाधिक सुखी होने की भयानक लालसा मानव मन पर नियन्त्रण किये बैठी है। - धन को ही जीवन का अन्तिम लक्ष्य मान कर वर्तमान जगत अत्यन्त भयंकर पाप कर रहा परन्तु करुण वृतान्त यह है कि अन्याय, अनीति, घोर हिंसा एवं अत्याचारों से उपार्जित धन मानव को कदापि सुखी नहीं करता। धन की भयानक वासना जीव को काल का करुण ग्रास भी बना देती है। धन की लालसा में करोड़पति की करुण मृत्यु __एक करोड़पति सेठ था। उसके चार पुत्र थे, परन्तु उनमें से किसी को भी सेठ के प्रति आदर अथवा प्रेम नहीं था, क्योंकि सेठ ने जीवन भर धन उपार्जित करने के अतिरिक्त अन्य कुछ भी किया नहीं था। सेठ के हृदय में नित्य एक ही वासना रहती थीकि 'किस प्रकार मेरी तिजोरी ठसाठस भर जाये।' साठ वर्ष के वयोवृद्ध सेठ प्राय: अनेक बार तिजोरी के पास जाकर देखते कि तिजोरी कहाँ तक भर गई है? वे स्वयं ही कमरे का द्वार बन्द करके नोटों के बंडल अच्छी तरह गिन लेते। एक दिन सेठ भोजन करने के पश्चात् तिजोरी में रखे हुए रूपये गिनने के लिये कमरे में गये। अचानक कोई भीतर प्रविष्ट न हो जाये, अत: उन्होंने दरवाजे के स्वत: बन्द हो जाने वाला ताला लगवाया था। भीतर प्रविष्ट होते ही द्वार बन्द हो जाता था। भीतर से यदिसेठ स्वयं ही चाबी से
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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