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________________ cecece à sa5050000 जायें तो भी बंगले के बाहर 'कुत्ते से सावधान' की तख्ती पढ कर पुन: लौट जाते हैं। ब्लॉक अथवा फ्लैट के द्वार तो बंद ही रहते हैं। साधु भगवंत के आगमन की खबर तक नहीं पड़ती। द्वार बन्द रहने के कारण पड़ोसियों से भी सम्पर्क प्राय: नहीं हो पाता। अरे, बम्बई में तो ऐसे मनुष्य भी निवास करते हैं कि जिन्हें अपने ही नीचे के फ्लेट में कौन रहता है वे वहाँ वर्षों से रहने पर भी पता ही नहीं है। ऐसी स्थिति में सुख-दुःख में पडोसी की सहायता की अपेक्षा ही कैसे की जा सकती है ? द्वार खटखटा कर अथवा घंटी बजाकर, अचानक फ्लैट में प्रविष्ट होकर, स्त्री का गला घोंट कर, बहुमूल्य सामान लूट कर दिन के समय भाग जाने की अनेक घटनाएँ बम्बई जैसे बड़े शहरों नित्य प्रायः होती ही रहती हैं। ऐसी स्थिति में कोई भी किसी की हत्या करके जाये अथवा स्त्री के साथ बलात्कार करके उसका सतीत्व लूट जाये तो भी क्या पता लगे ? अतः अधिक एकान्त में अथवा गुप्त स्थान में आवास नहीं रखने की ज्ञानी पुरुषों की हित- शिक्षा अत्यन्त उचित ही है, जिस पर अमल करना अत्यन्त ही हितकर है। अत्यन्त एकान्त स्थान में आवास से हानियाँ अधिक एकान्त स्थान में आवास होने से कैसी हानि होती है जिसका एक प्रसंग स्मरण हो आया है। बम्बई में नेपियन्सी रोड़ के पीछे की ओर एक धनाढ्य दम्पति ने निवास स्थान लिया। उन दोनों को अत्यन्त शान्त क्षेत्र पसन्द था। शान्त स्थान के नाम पर अधिक एकान्त स्थान का उन दोनों ने चयन किया। - पति-पत्नी दोनों के पास मोटर कार थी । प्रातः पति किसी कार्यालय में जाता और सायंकाल के समय लौटता। इतन बड़े बंगले में दोपहर के समय अकेली युवा सेठानी ही होती। एक दिन दोपहर में अचानक गाड़ी का ड्राइवर आया और किसी कार्य का बहाना बना कर उसने बंगले में प्रवेश किया। उसने भीतर आते ही मुख्य द्वार बंद करके सेठानी के साथ बलात्कार करके उसकी दुर्दशा कर दी और बंगले में से बहुमूल्य सामान लेकर चम्पत हो गया। ऐसी अनेक दुर्घटनाओं के मूल में अयोग्य स्थान पर आवास का चयन ही प्राय: कारण भूत होता है । कुशलता से संस्कार बनाये रखने वाले सेठ एक करोड़पति सेठ के बंगले के समीप ही राजा द्वारा मान्य दो संगीतज्ञ आये। उन्होंने अपने मधुर कण्ठ एवं वाद्य यन्त्रों से आसपास के क्षेत्र में अत्यन्त आकर्षण उत्पन्न कर दिया। सेठ की पुत्र- वधुएँ भी प्राय: खिड़की के पास खड़ी होकर उन संगीतज्ञों के संगीत का रसास्वादन करती । सेठ ने एक बार यह दृश्य देख लिया। उन्हें अपनी पुत्र-वधुओं के शील की चिन्ता होने लगी। उन्होंने सोचा “यदि इसी प्रकार चलता रहा तो किसी दिन पुत्र वधुओं का शील खतरे में पड़ सकता है।'' अत: उन संगीतज्ञों को वहाँ से हटाने की योजना पर वे विचार करने लगे। सोचते-सोचते - Gece 114 To 900001
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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