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________________ ccececece i sosososON गोत्र कर्म बंधन होता है। मरीचि के भव में अभिमान करके भगवान श्री महावीर स्वामी की आत्मा ने भारी चिकना नीच गोत्र कर्म बाँधा था, जिसके फलस्वरूप भगवान को अस्सी दिनों तक देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षि में रहना पढ़ा था। उसके 2. निन्दक व्यक्ति के अनेक शत्रु होते हैं, जिससे सदा उसके प्राण जोखिम में रहते हैं। 'शत्रु नित्य उसके कार्यों में पत्थर फेंकते रहते हैं, जिससे उसके कार्य में सदा अवरोध एवं गतिरोध उत्पन्न होता है । 3. निन्दा करने से हमारे स्वभाव में दुष्टता पनपती है जो कभी कभी अपने उपकारियों को भी नहीं छोड़ती। चाहिये। 4. निन्दा के कारण अहंकार एवं ईर्ष्या आदि की निरन्तर पुष्टि होती रहती है। 5. निन्दक स्वभाव वाला व्यक्ति वास्तव में धर्म करने के योग्य नहीं रहता। 6. आप जिस व्यक्ति की निन्दा करते हैं वह मनुष्य सुधरने के बदले अधिक वक्र बनता है। 7. जिस दुर्गुण की आप निन्दा करते हैं वह दुर्गुण आपके भीतर प्रविष्ट हो जाता है। ऐसे ऐसे अनेक कारणों से निन्दा के पाप को जीवन में से शीघ्रातिशीघ्र तिलांजलि दे देनी BERG 101 99299900900 101
SR No.032476
Book TitleMangal Mandir Kholo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevratnasagar
PublisherShrutgyan Prasaran Nidhi Trust
Publication Year
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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