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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ एक जैन साधु महाराज पधारे थे । में अपनी मित्र मण्डली के साथ उपाश्रय के पासमें खेल रहा था । म.सा.ने हमको देखकर कहा 'आओ बच्चों । मैं तुम्हें अच्छी कहानी सुनाता हूँ ।' . कहानी सुननेकी जिज्ञासावश हम सभी उपाश्रय में गये । म.सा.ने कहानी सुनाने के बाद हमको पूछा 'बोलिए, आपमें से किसको जल्दी मरना है ?' ऐसा विचित्र सवाल सुनकर एक भी बच्चेने अंगुली ऊँची नहीं की। बादमें म.सा.ने फिरसे पूछा, 'आपमें से किसको रोग रहित दीर्घायुषी बनना है ?' तब सभी बच्चोंने निरपवाद रूपसे अपनी अंगुली ऊँची कर दी। बाद में म.सा.ने कहा - 'देखो बच्चों । जिनको भी आरोग्य युक्त दीर्घ आयुष्य प्राप्त करना है, उन्हें निम्नोक्त तीन बातों को अपने जीवनमें आत्मसात् करनी चाहिए । (१) अधिक भोजना करना नहीं । जितनी भूख हो उससे कुछ अल्प मात्रामें भोजन करना चाहिए । (२) अधिक बार खाना नहीं । अच्छी तरह भूख लगे तभी ही भोजन करना चाहिए । एक या दो बारसे अधिक बार भोजन नहीं करना चाहिए। (३) अधिक वस्तुएँ खानी नहीं । सात्त्विक एवं सुपाच्य आहार लेना चाहिए । अधिक तेल - घी युक्त एवं मसालेदार अधिक चीजें नहीं खानी चाहिए । अल्प द्रव्यों से भोजन करना चाहिए । बस, इन तीन बातों का प्रयोग कीजिए तो आपको स्वयं ही इनका प्रभाव अनुभव में आयेगा । म.सा. की वात्सल्य युक्त निःस्वार्थ वाणी अन्य अनेक बच्चों के साथ मेरे हृदय को तो ऐसी छू गयी कि दूसरे ही दिनसे मैंने उसका प्रयोग शुरू कर दिया । दो दिनके लिए एकाशन अर्थात् एक ही बार भोजन
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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