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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ अभिग्रह ले लिया। तबसे वे प्रतिदिन ८ सामायिक अचूक करते हैं । उनकी धर्मपत्नी हीराबहन भी प्रतिदिन ८ सामायिक एवं जिनपूजा करती हैं । दोनों सुपुत्र एवं पौत्र भी हररोज प्रभुदर्शन करते हैं। आजसे ७ साल पूर्व वनमालीदासभाई ने श्रावक के १२ व्रतों का विधिवत् स्वीकार कर लिया है । ऐसे उत्कृष्ट तप-त्याग के साथ साथ उनके जीवनमें अनुमोदनीय अप्रमत्तता भी है । वे दिनमें कभी सोते नहीं हैं । शीतकालमें रात को २॥-३ बजे निद्रा त्याग करते हैं एवं गर्मी की ऋतुमें प्रातः ४ बजे उठकर जप एवं कायोत्सर्ग करते हैं । प्रतिदिन २ सामायिक के दौरान २५० लोगस्स का कायोत्सर्ग करते हैं एवं हररोज १० हजार बार 'अरिहंत' ..'अरिहंत' का जप अंगुलियों की रेखाओं पर अंगूठे के सहारे से करते हैं। वे कहते हैं कि "अगर मृत्यु के समय में 'अरिहंत' का स्मरण करना चाहते हों तो जीवनकाल में ही प्रतिदिन उसकी आदत डालनी चाहिए।" देह एवं आत्मा के भेद ज्ञान के लक्ष्यपूर्वक हररोज आत्मसिद्धिशास्त्र का स्वाध्याय करते हैं । अखबार कभी पढते नहीं हैं। गुजराती में ७वीं कक्षा एवं अंग्रेजी में १ कक्षा तक का व्यावहारिक अभ्यास करनेवाले वनमालीदासभाई को प्रारब्ध एवं प्रामाणिक पुरुषार्थ के बलसे सेंचुरी मीलके शेरों द्वारा अच्छा अर्थलाभ हुआ है । सिंधी मार्केटमें उनकी कपड़े की १० दुकानें हैं, जो उनके ३ भाई सम्भालते हैं । स्वयं आराधनामय निवृत्त जीवन जीते हैं । ____दान धर्मकी आराधना के रूपमें हठीसींगकी बाड़ी के आयंबिल खाते में एवं भोजनशाला में १ - १ लाख रूपये एवं पालीताना की सिद्धक्षेत्र भोजनशाला में ११ लाख रु. सहित ५५ लाख रूपयोंका दान विविध क्षेत्रों में दिया है । प्रतिदिन पक्षियों को १०० रु का अनाज अनुकंपादान के रूपमें डालते हैं। पक्षियों के लिए पानी के कंडे वे स्वयं भरते हैं एवं उपाश्रय तथा पाठशाला की सफाई भी स्वयं करते हैं। हररोज जिन मंदिर के भंडार में पांच रुपये अचूक डालते है । 'जिनमंदिर रूपी आत्म-निरीक्षण केन्द्रमें जाना हो तो पाँच रुपये का टिकट
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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