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________________ केवल दो महिने जितने अल्प समय में इस किताब का कम्पोझ से लेकर संपूर्ण कार्य शीघ्रता से परिपूर्ण करने के लिए 'कुमार प्रकाशन केन्द्र' के उत्साही संचालक श्री हेतलभाई असणभाई शाह विशेषतः धन्यवादाह हैं । - छद्मस्थ दशा के कारण इस किताबमें कहीं भी श्री जिनाज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा गया हो तो उसके लिए हार्दिक मिच्छामि दुक्कडं । सुज्ञ पाठक क्षतियों के प्रति ध्यान खींचेंगे तो भविष्यकाल में उनका परिमार्जन हो सकेगा। यह किताब ज्ञानभंडार आदि में बंद पड़ी न रहे किन्तु निरंतर इसका अधिक - अधिकतर उपयोग होता रहे इसके लिए पेज नंबर 2 पर दी हुई सूचना का पालन करने में सहयोग की पूज्यों से एवं पाठकवृंद से खास अपेक्षा है । जैनेतर पाठकों से नम्र अनुरोध है कि यदि आपको इस किताब के किसी पारिभाषिक शब्द का अर्थ या व्याख्या समझ में न आये तो किसी भी जैन साधु-साध्वीजी भगवंत के पास जाकर इसका अर्थ निःसंकोच रूपसे जरूर समझ लें । गुजराती संस्करण की उपेक्षा इस हिन्दी संस्करण में दृष्टांत नं. २४, ४४, ६२, ६७, ७१, ७२, ७३, ७४, ७६, ११७, १३९, १४६, १५९, १८०, १८१, १८३, २०५, २९१, २९२ नये शामिल किए गये हैं । प्रस्तुत पुस्तक के मननपूर्वक पठन-पाठन से अनेकानेक आत्माएँ गुणानुरागी और विशिष्ट कोटिके आराधक बनकर शीघ्र मुक्तिपदके अधिकारी बनें यही एकमेव शुभाभिलाषा । गणि महोदयसागर दि. १-६-१९९९ उदयपुर (राजस्थान) 42
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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