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________________ PREHEERadar taff बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ १५०अलाई -११०८ से अधिक अनुम करनेवाली महातपस्विनी सश्राविका चन्दाबहन बाबुलाल संघवी खड़की (पूना) निवासी महातपस्विनी सुश्राविका श्री चन्द्राबहन बाबुलाल संघवी ने अपने जीवन में की हुई अदभुत तपश्चर्या का वर्णन हाथ जोड़कर अहोभाव से पढ़ें । (१) अट्ठाई तप - १५० बार (२) श्री पार्श्वनाथ भगवान के १०८ अठ्ठम एवं अन्य १००० से अधिक अठ्ठम । (३) श्री महावीर स्वामी भगवान के २२९ छठ्ठ (४) अठ्ठम से वर्षीतप (५) छ8 से वर्षीतप (६) उपवास से वर्षीतप (७) सिद्धितप (८) श्रेणितप (९) कंठाभरण तप (१०) चत्तारिअठ्ठ–दश-दोय तप (११) धर्मचक्र तप (१२) शेजय तप (१३) अक्षय निधि तप (१४) क्षीरसमुद्र तप (१५) समवसरण तप (१६) सिंहासन तप (१७) मोक्षदंडक तप (१८) वर्धमान तप की १०१ ओलियाँ (१९) लगातार ८२५ आयंबिल (२०) संलग्न ५०० आयंबिल (२१) २४ भगवान के एकाशन -१२ बार (२२) आयंबिल से उपधान तप (२३) शत्रुजय तीर्थ की ९९ यात्रा (२४) ६ महिनों के छ'री पालक संघ में यात्रा (२५) नवलाख नवकार जप इत्यादि । धन्य है ऐसी तपपरिणितिवाली आत्माओं को ! यथाशक्ति तप करके अणाहारी पद प्राप्त करने की हमें भी तीव्र भावना उज्जागर हो यही मंगल भावना । पता : चंद्राबहन बाबुलाल संघवी मु.पो. खड़की (पुना) - (महाराष्ट्र) पिन : ४११००
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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