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________________ ३८८ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ १॥ बजे अभिग्रह पूर्ण हुआ तब एकाशन किया ! दूसरे दिन व्याख्यान में आकर उन्होंने १५ उपवास के पच्चक्खाण लिये। १५ उपवास पूर्ण होने पर फिर १५ उपवास के पच्चक्खाण लिये ! शासनदेव की कृपा से ऐसी कठिन तपश्चर्या निर्विघ्नता से पूर्ण हुई । इस तरह कुल ४७ दिनों में केवल एक ही दिन आहार लिया, उसमें भी अभिग्रह पूर्वक एकासन..! ___ इस महातपस्वी सुश्राविका ने अपने जीवन में अन्य भी आश्चर्यप्रद और अहोभाव प्रेरक तपश्चर्याएँ की हैं जिसे पढकर कोई भी सहृदयी मनुष्य नतमस्तक हुए बिना नहीं रहेगा । यहाँ पर उन्होंने की हुई भीष्म तपश्चर्या का विवरण अनुमोदना हेतु प्रस्तुत किया जा रहा है। (१) उपवास के पारणे बिआसन से वर्षीतप - २० बार (२) छठ्ठ के पारणे छ8 से वर्षीतप -२० बार (३) अठ्ठम के पारणे अठ्ठम से वर्षीतप - २ बार (४) ४ उपवास के पारणे ४ उपवास से वर्षीतप - २ बार (५) ५ उपवास के पारणे ५ उपवास से वर्षीतप – १ बार (६) ६ उपवास के पारणे ६ उपवास से वर्षीतप - १ बार (७) ७ उपवास के पारणे ७ उपवास से वर्षीतप - १ बार (८) ८ उपवास के पारणे ८ उपवास से वर्षीतप - अपूर्ण (९) सिद्धितप (१०) श्रेणितप (११) चत्तारि-अठ्ठ-दश-दोय तप (१२) समवसरण तप (१३) सिंहासन तप (१४) मासक्षमण - ६ बार (१५) अट्ठाई -२५ बार (१६) २१-३२-४४-४५-५१ उपवास (१७) पंच परमेष्ठी के कुल १०८ उपवास (१८) २४ तीर्थंकर के कुल ३०० उपवास (१९) वर्धमान आयंबिल तप की ३५ ओलियाँ (२०) महावीर स्वामी भगवान के २२९ छठ्ठ (२१) पार्श्वनाथ प्रभु के गणघरों के १० छठ्ठ (२२) विहरमान भगवान के २० छठ्ठ (२३) २४ तीर्थंकर के २४ छठ्ठ (२४) महावीर स्वामी के ११ गणधरों के ११ छठ्ठ.. इत्यादि (२५) अनेक छ'री' पालक संघों में यात्रिक के रूप में शामिल होकर सम्यग्दर्शन को निर्मल बनाया। तपश्चर्या के साथ साथ सम्यक्ज्ञानाभ्यास भी अच्छा किया था। सरस्वतीबहन की भतीजी ने संयम का
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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