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________________ ३२४ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ द्वारा १३०० व्यक्तियों को उनके पूर्वजन्म की स्मृति दिलायी थी और 'The Power Within' नामकी किताब में इसका विस्तृत जिक्र भी किया है । उसमें एक अंग्रेज महिला ने अपने पूर्वजन्म में शुक्र ग्रह में देव के रूप में होने का विस्तृत बयान दिया है जो जैनागमों में वर्णित ज्योतिषी देवों के वर्णन की सत्यता को सिद्ध करता है। HARINEETEHREE PEEBERREARRIERE दि. ५-३-१९९९ के दिन हम जयपुर में श्री सिद्धराजजी ढड्डा (उ. व. ९०) नामके सुश्रावकश्री को मिले । उन्होंने पूर्व जन्म में तोते पंछी के भवमें श्री सिद्धाचलजी तीर्थ के मूलनायक श्री आदीश्वर दादा की पूजा की थी। करीब जन्म के साथ ही वे पूर्वजन्म की स्मृति को साथ लेकर आये थे, मगर २॥ साल की उम्र में वे स्पष्ट रूप से अपने पूर्व जन्म का वर्णन करने लगे थे । इस घटना का विस्तृत वर्णन श्रीसिद्धराजजी ढड्डा के पालक पिता स्व. श्री गुलाबचंदजी ढड्डा (जो सिद्धराज के चाचा थे और नि:संतान होने के कारण अपने भत्तीजे को गोद लिया था) ने एक अंग्रेजी लेखमें किया था । उसका हिन्दी अनुवाद 'श्री सिद्धराजजी ढड्डा अभिनंदन ग्रंथ' में प्रकाशित हुआ है, उसे यहाँ अक्षरशः प्रस्तुत किया जा रहा है । आशा है कि आधुनिक शिक्षा के प्रभाव से जो लोग पुनर्जन्म को नहीं मानते हैं या पुनर्जन्म के सिद्धांत के प्रति शंकित हैं वे ऐसे दृष्टांतों को गौर से पढकर नास्तिकवाद के विषचक्र से छुटकारा पायेंगे और सर्वज्ञ कथित पुनर्जन्म आदि सिद्धांतों के प्रति नतमस्तक होकर अपने आगामी जन्मों को सुधारने के लिए वर्तमान भव में न्याय-नीति, परोपकार, सदाचार, संयम, सेवा, भक्ति आदि सद्गुणों को आत्मसात् करने का एवं व्यसनों और पापों से छुटकारा पाने के लिए भव्य पुरुषार्थ करेंगे । एक सम्प्रदाय मानता है कि मनुष्य मरकर मनुष्य ही बनता है, पशु मरकर पशु और पंछी मरकर पंछी ही बनता है, वह भी ऐसे प्रामाणिक
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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