SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 398
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३२१ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ मूलत: कच्छ-अबडासा तहसील के सांधव गाँव के निवासी किन्तु व्यवसाय के निमित्त से कलकत्ता में रहते हुए धनजीभाई शिवजी शाह अपने जीवन की पूर्वावस्था में सत्संग के अभाव से जैनाचार से विपरीत जीवन जी रहे थे । रातको १२ बजे रात्रिभोजन, जमीकंद का भक्षण, और हररोज गोल्ड स्लेक सीगारेट के ३ - ४ डिब्बे जितना धूम्रपान इत्यादि उनके जीवनमें सहज हो गया था । - लेकिन किसी धन्य क्षण में वि. सं. २०११ में ३८ साल की उम्रमें पूर्व जन्म का कोई पुण्यानुबंधी पुण्य उदय में आया और उन्होंने प्रथम बार ही व्याख्यान वाचस्पति प. पू. आचार्य भगवंत श्रीमद् विजय रामचंद्रसूरीश्वरजी म.सा. का व्याख्यान सुना । केवल एक ही प्रवचन के श्रवण से उनके हृदयमें सुसुप्त रूपसे रहे हुए जन्म जन्मांतर के धर्म संस्कार जाग्रत हो गये और केवल १५ दिनों में ही उन्होंने रात्रिभोजन, जमीकंद का भक्षण, चाय एवं सीगारेट का हमेशा के लिए त्याग कर दिया । और ऐसी चुस्तता से चौविहार करने लगे कि सूर्यास्त होते ही उनके घरमें पानी के घड़े उल्टे कर दिये जाते थे । घर के सभी सदस्य चौविहार करते थे और उन के घर में आनेवाले अतिथिओं को भी रातको पानी नहीं मिलता था ! _ वि. सं. २०१२ से केवल रोटी, दाल, चावल और दूध इन चार द्रव्यों से ही एकाशन करने का प्रारंभ किया, कि जो वि. सं. २०४९, तक आजीवन चालु ही रहे । त्रिकाल स्वद्रव्य से जिनपूजा करने लगे । यदि किसी अनिवार्य संयोगवशात् पूजा नहीं हो सके तो दूसरे दिन चौविहार उपवास करने का नियम लिया । . प्रतिदिन प्रतिक्रमण करने का प्रारंभ किया । यात्रा आदि के . कारण यदि प्रतिक्रमण न हो सके तो दूसरे दिन उपवास करते थे । __हररोज साधर्मिक के पैर दूध एवं पानी से धोकर, तिलक करके श्रीफल और सवा रुपया देकर प्रेम से भोजन कराकर साधर्मिक भक्ति करते थे । जिस दिन साधर्मिक भक्ति नहीं हो सके उसके दूसरे दिन चौविहार उपवास करनेका नियम था । बहरत्ना वसंधरा - २-21
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy