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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ ३१३ दूसरा कीर्तिमान यह भी है कि भगवान श्री महावीर स्वामी के शासन में वर्धमान तप की १०० ओलियाँ पूर्ण करनेवाले हजारों तपस्वी चतुर्विध श्री संघ में हुए हैं और आज भी सैंकडों ऐसे तपस्वी विद्यमान हैं परन्तु उनमें से 'लगातार १०० ओलियाँ (१०३ ओली) परिपूर्ण करनेवाले वीरमगाम के स्व. सुश्रावक श्री रतिलालभाई के सिवाय अन्य कोई सुना नहीं गया है । मगर परम तपस्वी सुश्रावक श्री दलपतभाईने एक भी पारणा किये बिना लगातार १४० ओलियाँ करके इसमें भी बेजोड़ कीर्तिमान प्रस्थापित किया है । बाल ब्रह्मचारी श्री दलपतभाई ने वर्धमान तप प्रारंभ करने से पूर्व अठ्ठम के पारणे अठ्ठम से पाँच वर्षीतप भी किये हैं !!! माता सिरीयाबाई के इन सपूतने २० साल की उम्र से अपनी आत्मा को तप आराधना में जोड़ दिया है ! इसी वर्ष (वि. सं. २०५६ ) में चैत्र महिने में राजस्थान में मेड़ता रोड़ ( फलवृद्धि पार्श्वनाथ ) तीर्थ में शांतिदूत प. पू. आ. भ. श्री विजय नित्यानंदसूरीश्वरजी म.सा. की निश्रामें श्री नवपदजी की सामूहिक आराधना हुई थी तब सुश्रावक श्री दलपतभाई बोथरा भी वहाँ पधारे थे एवं उन्होंने वहाँ १३९ ओली की पूर्णाहुति के साथ तुरंत १४० वी ओली का प्रारंभ किया था। ऐसे रसनेन्द्रिय विजेता परम तपस्वी श्री दलपतभाई बोथरा की उत्कृष्ट तपश्चर्या की भूरिशः हार्दिक अनुमोदना । १४० पता : श्री दलपतभाई ताराचंदजी बोथरा C/o हुक्मीचंदजी समदड़ीया, १५, विरप्पन स्ट्रीट, सोवकार पेठ, चैन्नई (मद्रास) पिन : ६०००७९. फोन : ५८७५२१ बेलगाम जिले के सर्वोत्तम आराधक निपाणी के युवा डोक्टर अजितभाई दीवाणी कुछ लोगों को जब कोई साधु-संत धर्म करने की प्रेरणा करते हैं, तब वे प्रत्युत्तर देते हैं कि, "महाराज साहब ! अभी तो रूपये कमाने
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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