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________________ तस्वीर परिचय (१) हजारों अबोल जीवों को कसाइओं के पंजे से छुड़ाकर पांजरापोल में भेजनेवाले... और आखिर कसाइओं के हाथों से ही शहादत को संप्राप्त अहिंसा की देवी गीताबहन रांभिया के जीवदया के अधूरे कार्यों को आगे बढानेवाले उनके जीवनसाथी श्री बचुभाई रोभिया (कच्छ रामाणिआ, हाल अहमदाबाद) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-२, दृष्टांत नं. १७४) (२) कविरत्न पू. मुनि श्री मणिप्रभविजयजी म.सा. (प.पू.आ.श्री विजय नीतिसूरिजी म.सा. के समुदाय के) (१) सुरेन्द्रनगर से शंखेश्वर महातीर्थ का छ'री' पालक संघ निकालने वाले, अटलास अन्जिनीयरींग कुं. के मालिक संघवी श्री कांतिलालभाई अन. पीठवा (लोहार) (सुरेनद्रनगर-गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-१, दृष्टांत नं. ३१) (२) प्रतिदिन १-१ घंटे सुबह शाम जिनमंदिर में खड़े खड़े एकाग्र चित्तसे श्री नवकार महामंत्र का जप एवं विशिष्ट जिनभक्ति करते हुए साधक श्री जसभाई पटेल (नडीआद-गुजरात) (बहुरत्ना वसुंधरा भाग-१, दृष्टांत नं. ६१)
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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