SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 381
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३०४ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २ २ बार ९९ यात्राएँ की हैं और तलहटी की ३ बार ९९ यात्राएँ की हैं। मुंबई आदि से कुल १०८ बार पालिताना गये हैं। अपने पैसों से उन्होंने ३१ व्यक्तियों को पालिताना की यात्रा करवायी है । ३५ साल से हररोज १ सामायिक करनेका, १ घंटे तक धार्मिक सूत्रों का स्वाध्याय करने का एवं पर्वतिथियों में प्रतिक्रमण करने का नियम है । इस तरह ज्ञान - दर्शन - चारित्र और तप के संगम रूप श्री जसवंतभाई सर्वविरति चारित्र को स्वीकारने की भावना में रमणता करते हैं । उनकी यह भावना शीघ्र साकार बने यही हार्दिक शुभेच्छा । जसवंतभाई भी शंखेश्वर महातीर्थ में आयोजित अनुमोदना समारोह में पधारे थे । उनकी तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 19 के सामने । 1 पता : जसवंतभाई डी. दफ्तरी ६/२५ पोदार पार्क को. ओ. हाउसींग सोसायटी, पोदार रोड, मलाड़ (पूर्व), मुंबई : ४०००९७. फोन : ८८३४८९२ / ८४०४८९२ (घर) १३५ श्री शांतिलालभाई शाह की अद्भुत नीतिमत्ता “मामा ! मामा ! मैं आपको ढुँढते ढूँढते इतने दूर तक आ गया हूँ । मामा ! एक बड़े मजे की एवं आपके फायदे की बात है ।" " बोल भानजे ! क्या बात है ?" मामा जिला कक्षा के जाहिर बांधकाम विभाग के सरकारी एन्जिनीयर थे । समग्र गुजरातमें जहाँ जहाँ से रास्ते - मकान - पुल - इत्यादि के निर्माण कार्योंमें गैरव्यवस्था की शिकायत राज्य सरकार को मिलती वहाँ उस शिकायत की जाँच करने के लिए सरकारने उनको नियुक्त किया था । आज वे एक गाँव के विश्रांति गृह में ठहरे थे ! कल उस गाँव के पास
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy