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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग २७३ पूर्णचन्द्रविजयजी म.सा. के चातुर्मास में श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभुजी के सामूहिक अठ्ठम तपका आयोजन हुआ था, जिसमें १२२ तपस्वी शामिल हुए थें । तब केवल ढाई सालकी उम्र के बाल श्रावक जिनलकुमारने भी आनंदपूर्वक अठ्ठम तप किया था । श्री संघ के द्वारा जिनपूजा के लिए २५०० रूपयों के चांदी के उपकरण आदि भेंट द्वारा जिनलकुमार का बहुमान किया गया था । यह बाल श्रावक जिनलकुमार डेढ साल की उम्र से नित्य जिनपूजा, नवकारसी, रात्रिभोजन त्याग, अचित्त जल पीना इत्यादि नियमों का चुस्त रूपसे पालन करता है । ये सुंदर संस्कार उनकी माता शोभनाबहन और पिता नवीनभाई शाह की देखभाल का फल है । भविष्यमें यह बालक महान संयमी साधु बने ऐसी उनकी भावना है । धन्य जिनलकुमार ! धन्य माता पिता । (२) शा सालकी उम्र में अठ्ठाई ४॥ सालकी उम्र में १० - उपवास । मुंबई में मीरां रोड में रहते हुए विवेक नाम के बालक ने केवल शा साल की उम्र में अठ्ठाई तप एवं ४॥ साल की उम्र में लगातार १० उपवास करके विश्व विक्रम स्थापित किया है । आज उसकी उम्र करीब १० साल की है । वह मुमुक्षु के रूप में संयम की तालीम 'ले रहा है, । ६ कर्मग्रंथ आदि का अध्ययन कर चुका है । उनको एकाग्र चित्तसे, भावोल्लास पूर्वक जिनपूजा भक्ति करते हुए देखनेवाले भी भाव विभोर हो जाते हैं । एकाध साल में उसकी दीक्षा होनेवाली है । विवेककुमार मुनि बनकर आत्म कल्याण के साथ साथ जबरदस्त शासन प्रभावना करे यही हार्दिक शुभेच्छा । विवेककुमार के माता पिता को भी अनेकशः धन्यवाद। शंखेश्वरमें आयोजित अनुमोदना समारोहमें विवेककुमार भी अपने माँ-बाप के साथ आया था । उसकी तस्वीर के लिए देखिए पेज नं. 14 के सामने । (३) डेढ साल की उम्र में श्रेयांसकुमार ने किया हुआ उपवास । बहुरत्ना वसुंधरा २-18 -
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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