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बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - २ युवा प्रतिबोधक, सुप्रसिद्ध प्रवचनकार, प.पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म.सा. के प्रवचन श्रवण से धर्म में विशेष रूप से जुड़े हुए अरविंदभाई मुंबई में रहते हुए भी संडाश या बाथरूम का उपयोग नहीं करते हैं । परात में बैठकर मर्यादित जल से यतनापूर्वक स्नान कर के उसका पानी बाल्टीमें डालकर अगाशी के उपर या अन्य खुल्ली जमीन पर यतना पूर्वक परठवते हैं । मलोत्सर्ग के लिए भी वे दूर रेल की पटरियों के पास जाते हैं किन्तु संडाश इस्तेमाल नहीं करते हैं । साल में २ बार दाढी के बालों का एवं १ बार मस्तक का केशलोच करवाते हैं किन्तु नाई की दुकान (सेलून) में नहीं जाते हैं।
कर्मसंयोग से आज से करीब ९ साल पूर्व में उनके ७ और ९ साल की उम्र के दोनों सुपुत्र - गोयम और मुन्ना को खुन का केन्सर हुआ था । हररोज रात को डोक्टर इंजेक्शन लगाता था । और सुबह में बाहर निकालता था । ऐसा करने के बाद भी एक दिन डोक्टर ने अरविंदभाई को कह दिया कि हमारी थियरी के मुताबिक ये दोनों बच्चे अनुक्रम से १७ और २३ दिनों से ज्यादा दिन तक जीवित नहीं रह सकेंगे। तो भी धर्म की शक्ति के उपर अटूट श्रद्धा रखने वाले अरविंदभाई हताश नहीं हुए । उन्हों ने धर्मचक्रतपप्रभावक प.पू. पंन्यास प्रवर श्री जगवल्लभविजयजी म.सा. (हाल आचार्यश्री) की प्रेरणा के मुताबिक धर्मचक्र की आरती का चढ़ावा लिया और अपने दोनों सुपुत्रों के हाथों से आरती करवाई । सचमुच चमत्कार हुआ हो इस तरह वे दोनों ब्लड केन्सर जैसे जानलेवा रोगमें से बाल बाल बच गये । चिकित्सक भी आश्चर्यचकित होकर धर्मसत्ता के आगे झुक गये । इस बात को आज ९ साल बीत चुके हैं। . दोनों भाई खूब अच्छी तरह से धर्म आराधना कर रहे हैं । सचमुच जो व्यक्ति मुसीबत में भी निष्ठापूर्वक धर्म का पालन करता है । उसकी रक्षा धर्म द्वारा अवश्य होती ही है । (धर्मो रक्षति रक्षितः)
उपरोक्त प्रसंग से अरविंदभाई की धर्मश्रद्धा और प्रभुप्रीति में अत्यंत अभिवृद्धि हो गयी है । प. पू. महाराज साहब की प्रेरणा से उन्हों ने गृहमंदिर भी बनवाया है और प्रतिदिन २-३ घंटे तक एकाग्र चित्त से प्रभु भक्ति करते हैं ।
अरविंदभाई ने आज से करीब ७ साल पूर्व में महुवा से पालिताना