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________________ बहुरत्ना वसुंधरा : भाग - १ में उन्होंने दीक्षा ली तब उनके भाई भाभी नरेशभाई और चंदाबहनने भी ३० साल की भर युवावस्थामें विधिवत् आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत अंगीकार किया। नरेशभाई कई वर्षों से नवसारी तपोवन में वर्धमान जैन ट्रस्ट के संचालक के रूप में सेवा कर रहे हैं । तपोवन के प्रेरक प. पू. पंन्यास प्रवर श्री चन्द्रशेखरविजयजी म.सा.ने हजारों श्रोताओं के समक्ष नरेशभाई और चंद्राबहन को कलियुग के मीनी विजय सेठ और विजया सेठानी के रूपमें घोषित किया था । चन्द्राबहन भी प्रतिदिन अष्टप्रकारी जिनपूजा, रात्रिभोजन त्याग, अचिन पानी पीना, अनेकविध तपश्चर्याएँ करना इत्यादि रूपसे धर्ममय जीवन जीती हैं। उनके दो सुपुत्र वृषभ और वीतराग (उम्र वर्ष ६ और ८) प्रतिदिन जिनपूजा, रात्रिभोजन त्याग इत्यादि नियमों का अच्छी तरह से पालन करते हैं । चैत्यवंदन, सामायिक, प्रतिक्रमण के धार्मिक सूत्र भी उन्होंने कंठस्थ कर लिए हैं। आजसे करीब ६ साल पूर्व चन्द्राबहन का स्वास्थ्य अत्यंत खराब हो गया था, शरीर में केवल ३० प्रतिशत खून बचा था, ऐसी स्थिति में चिकित्सकों के आग्रह के बावजूद भी उन्होंने रात को दवाई भी नहीं ली और न ही कच्चे पानी का सेवन किया । संसार में रहते हुए भी जलकमलवत् निर्लेप जीवन जीनेवाले नरेशभाई और चंद्राबहन की हार्दिक अनुमोदना । पता : नरेशभाई फोजालाल मोदी (थरादवाले) वर्धमान जैन ट्रस्ट तपोवन संस्कार धाम, धारागिरि कबिलपोर, नवसारी (गुजरात) पिन : ३९६४४५
SR No.032468
Book TitleBahuratna Vasundhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year1999
Total Pages478
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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