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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - पेरेलाइसिस (लकवा) का असर कमर के नीचे के भाग में पिछले दो दिनों में ज्यादा मात्रा में शुरु हुआ था। जिससे मेरे पैर शून्यवत् हो गये थे। उसमें भी काफी सुधार हुआ। मेरे पैर मैं अपने हिसाब से हिला सकता था। . डॉ. रीड और निकलसन तो यह सब देखकर भौंचक्के रह गये। दोनों एक दूसरे के सामने देखने लगे, यह क्या? सहसा डॉ. रीड के मुँह से GOD IS GREAT (भगवान महान् है ) शब्द निकल पड़े। दूसरे सहयोगी डॉक्टरों, नौं, कंपाउण्डरों एवं मरीजों को भी इस घटना ने बहुत प्रभावित कर दिया। वे भी "वी ट्रस्ट इन गोड" के शब्द दोहराने लगे। इस प्रकार रविवार के दिन 10 बजे से 12 बजे के बीच भयंकर दुःख तथा वेदना के कारण असहाय-अशरण अवस्था के बोध के कारण मोह की नींद में सोयी मेरी आत्मा जाग उठी और पंच परमेष्ठी की शरण में लीन बन पहले हाय-वोय करता चीखता-चिल्लाता मैं सभी के आश्वर्य के बीच में रविवार को बारह बजे के बाद धेन के इंजेक्शन के बिना भी एकदम शांत-स्वस्थ बनकर ध्यान की मस्ती तथा श्री नवकार के जप में लीन हो गया। दर्द की तीव्रता तो 12 बजे दूर हो गई थी, किन्तु दर्द के मूल स्वरूप में भी 30-40 प्रतिशत कमी हुई थी। इसलिए डॉक्टर ऑपरेशन की बात भूल गये थे! ऐसे भी वे जोखमी ऑपरेशन मुख्य सिविल सर्जन (कि जो दो दिनों के अवकाश पर थे) की सलाह बिना करने को तैयार नहीं थे, उसमें भी मेरे रोग की स्थिति अप्रत्याशित रूप से शांत होती देखकर ऑपरेशन का जोखिम उठाना वे वाजिब नहीं मानते थे। ____ एलोपथी विज्ञान के अनुसार भयंकर जोखिमी दिखाई देता ऑपरेशन और रविवार को बारह बजने के बाद ऑपरेशन की खास जल्दबाजी नहीं हो ऐसी स्थिति, ऐसी दुविधाभरी स्थिति में निर्णय लेने का साहस न करते 43
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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