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________________ - जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? उससे उपज नहीं होती, उसमें बीज का दोष नहीं माना जाता, तो मलिन चित्तवृत्तियों से भरी मनोभूमि में नवकार बीज, फल न दिखाये तो उसमें दोष किसका? किसान काली मिट्टी का मूल्य इसीलिए कम नहीं आंकते। अच्छी फसल के लिए मिट्टी एक मुख्य सहकारी कारण है। (3) अरिहंत का मानस सांनिध्य . गुलाबचन्दभाई की आराधना में दिखाई देता तीसरा प्रमुख अंग है |"ॐ ह्रीं अर्ह नमः" या "नमो अरिहंताण' के लगातार जप द्वारा व्यक्त होती अरिहंत की रटना। इससे श्री नवकार मंत्र में रहे हुए मंत्र चैतन्य को प्रकट करने में मदद मिलती है। मंत्र चैतन्य अर्थात् मंत्र के अक्षरों में रही अव्यक्त सुसुप्त शक्ति। तंत्रविशारद ईष्टदेव की द्रव्यपूजा का आदर करते हैं, क्योंकि इसके द्वारा पूजक ईष्टदेव के प्रति अधिक अभिमुख बनता है और उससे साधना शीघ्र फलवती बनती है। उसी प्रकार मंत्र विशारद मानते हैं कि किसी भी मंत्र को जागृत करने के लिए, उसके मंत्र चैतन्य को स्फुरित करने के लिए ईष्टदेव के अभिमुख होना आवश्यक है। नाम स्मरण से साधक का मन ईष्टदेव के अभिमुख होता है। मंत्र शक्ति के लिए प्रथम निश्चित |संख्या में जप पुरश्चरण करने का विधान मंत्र साधना में इसी कारण किया होगा, ऐसा समझ में आता है। श्री गुलाबचन्द भाई की "नमो अरिहंताणं" "ॐ ही अहं नमः "के निरंतर जप द्वारा व्यक्त होती, अरिहंत की रटना से नवकार के अक्षरों में रही हुई सुप्त मंत्र शक्ति जाग उठी और नवकार का मंत्र चैतन्य कार्य करने लगा। अरिहंत परमात्मा के निरंतर रटन से, उनके नाम के सतत जप से साधक का मन उनकी ओर आकर्षित होता है, इससे अरिहंत परमात्मा के गुण साधक की और बहने लगते हैं, जिससे साधक की जीवनशद्धि दिन-प्रतिदिन बढ़ती जाती है। श्री गुलाबचन्दभाई के अनुभव में यह बात हमें स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उनके हदय में नवकार को स्थान मिलने पर उनका जीवन आत्मविकास की ओर बढ़ता है, दुर्भावनाएं एवं 19
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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