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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - __ दाहिने हाथ की चार अंगुलियों के 12 वेदों पर ऊपर की आकृति में दर्शाये क्रमानुसार अंगूठे की मदद से 12 नवकार गिनकर बायें हाथ की अनामिका अंगुली के बीच के वेढ़े पर बायें हाथ का अंगूठा रखना। फिर दूसरी बार दाहिने हाथ पर नन्द्यावर्त के क्रम अनुसार 12 नवकार गिनकर बांये हाथ का अंगुठा कनिष्ठिका अंगुली के बीच के वेढ़े पर खिसकाना। इसी क्रम से दाहिने हाथ पर 12-12 नवकार 9 बार गिनकर बायें अंगुठे को आकृति में दर्शाये अनुसार शंखावर्त की ओर खिसकाने से कुल 108 नवकार होते हैं। . जो इस प्रकार प्रतिदिन 108 नवकार गिनते हैं, उसे पिशाच, भूत-प्रेत वगैरह परेशान नहीं कर सकते हैं, ऐसा शास्त्रीय विधान है। बस-रेल वगैरह की मुसाफिरी के दौरान माला के बदले इस प्रकार शंखावर्त-नन्द्यावर्त जाप सुगमता से किया जा सकता है। (8) चक्रों में नवकार जाप : अपने शरीर की करोड़रज्जु (मेरुदण्ड) में नीचे के मणके से लेकर ब्रह्मरंध्र तक अलग-अलग स्थान पर सूक्ष्म सात चक्र अर्थात चैतन्य केन्द्र आये हुए हैं, ऐसा योग-वेत्ता साधक बताते हैं। उसमें सबसे नीचे के "मूलाधार चक्र के पास "कुंडलिनी' नाम की दिव्यशक्ति अनादिकाल से सुसुप्त अवस्था में पड़ी है। साढे तीन सर्प के आंटों (मोड़ों) की तरह उसकी सूक्ष्म आकृति है। जब ध्यान-जाप-भक्ति आदि द्वारा वह जाग्रत होकर ऊर्ध्वमुखी बनकर क्रमशः चक्रों का भेदन करती-करती ब्रह्मरंध्र में आये हुए सहस्रारचक्र में प्रवेश करती है, तब साधक को समाधि दशा में आत्म साक्षात्कार हो सकता है। कुंडलिनी शक्ति सरलता से उर्ध्वगमन कर सके, उसके लिए बीच में आते चक्रों का शुद्धिकरण अनिवार्य है। उनकी शुद्धि के लिए उन-उन चक्रों में नवकार का जाप सहायक बन सकता है, ऐसा अनुभव साधकों के पास से जानने को मिला है। इसलिए नीचे बताये अनुसार चक्रों में नवकार जाप किया जा सकता है। पद चक्र स्थान नमो अरिहंताणं आज्ञा चक्र भ्रकुटियों के मध्य-तिलक के स्थान पर 420
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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