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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - जोडाक्षर से पहले जो अक्षर होता है उसके ऊपर झटका लगाकर इस प्रकार बोलना चाहिए कि जिससे जोडाक्षर में से पहला आधा व्यंजन उसके साथ खींच जाये। उदाहरण :-" नमो सिद्धाणं" का उच्चार करते समय 'द्धा' पर भार न देते हुए 'सि' पर झटका लगाकर बोलने से 'द्धा' में से 'द्' भी उसके साथ खींच जाता है। अर्थात् "सिद्...धाणं" इस प्रकार बोलने से सही उच्चार हो सकता है। पांचवे पद में "सव्व" शब्द में "व्व" जोडाक्षर है इसलिए 'स' को झटके के साथ बोलना चाहिये। उसके स्थान पर साधारण रूप से बोला जाये तो 'सव' अर्थात शव = मुर्दा ऐसा अर्थ होने से लोक में रहे मुर्दा साधुओं का नमस्कार हो।" ऐसा अनर्थकारी विचित्र अर्थ होगा। इसलिए "सव्व" का उच्चार शुद्ध होना चाहिये। हस्व अक्षर हो वहां छोटा उच्चार करना चाहिये। उदाहरण :-चतुर्थ |पद में "उ"हस्व है। फिर भी कुछ लोग उसे लम्बाकर झटके के साथ उच्चार करते हैं, वह गलत है। दीर्घ अक्षर हो वहां पर थोड़ा लम्बा उच्चार करना चाहिये। उदाहरण:- पांचवे पद में "हू" दीर्घ है, परन्तु कई लोग उसका ट्रंका उच्चार करते हैं, वह अशुद्ध गिना जाता है। (3) नवकार की तालबद्ध धून या गाना : जिस प्रकार व्याख्यान के प्रारंभ में मंगलाचरण में रागपूर्वक नवकार बोला जाता है उस प्रकार से या दूसरे भी रूप से मधुर राग से एक समान तालपूर्वक हमेशा थोड़ी देर भावपूर्वक नवकार की धून या गान करने से भी चित्त की चंचलता कम होकर आह्लाद उत्पन्न होता है। (4) पश्चानुपूर्वी नवकार जाप : कैदखाने आदि बन्धन. वगैरह प्रसंगों में पश्चानुपूर्वी या उल्टे क्रम से नवकार के जाप का शास्त्रीय विधान है। पद से एवं अक्षरों से इस तरह दो प्रकार से पश्चानुपूर्वी का जाप नीचे लिखे अनुसार किया जा सकता है। पश्चानुपूर्वी जाप से भी |चित्त की चंचलता कम होती है। पद से पश्चानुपूर्वी नवकार अक्षरों से पश्चानुपर्वी नवकार 417
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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