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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? नवकार विषयक प्रश्नोत्तरी प्रश्न 1. अरिहंत परमात्मा के चार अघाती कर्म (वेदनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र कर्म) शेष होते हैं, जबकि सिद्ध भगवंतों के सभी कर्म नष्ट हो गये होते हैं। फिर भी नवकार में अरिहंतों को पहले नमस्कार क्यों किया गया है? उत्तर : अशरीरी ऐसे सिद्ध परमात्मा की पहचान अरिहंत परमात्मा ही करवाते हैं एवं सिद्ध परमात्मा बनने का मार्ग अरिहंत ही बताते हैं, इसलिए उनका अत्यन्त उपकार होने के कारण उन्हें पहले नमस्कार किया गया है। प्रश्न 2. अरिहंत की पहचान तो आचार्यादि करवाते हैं तो प्रथम नमस्कार आचार्यों को क्यों नहीं किया गया? उत्तर : अरिहंत परमात्मा स्वयं बुद्ध बनकर केवल ज्ञान प्राप्त करके शासन की स्थापना करते हैं तभी ही आचार्यों आदि का अस्तित्व संभव है। इसलिए प्रथम अरिहंत को जो नमस्कार किया गया है, वह पूर्णरूपेण उचित ही है। प्रश्न 3. तीर्थकर के अलावा सामान्य केवली भगवंतों को नवकार के किस पद में नमस्कार किया गया है? उत्तर : पांचवे पद में नमस्कार किया गया है। प्रश्न 4. सामान्य केवली भगवंतों ने भी आन्तर शत्रुओं (राग,द्वेष आदि) को नष्ट कर दिया है तो उनका समावेश पहले पद में क्यों नहीं किया गया? उत्तर : शास्त्रों में "अरिहंत" शब्द तीर्थंकर परमात्मा के लिए ही खास उपयोग किया गया है। इसलिए सामान्य केवली भगवंतों का प्रथम पद में समावेश नहीं किया गया है। प्रश्न 5. अरिहंत और सामान्य केवली में क्या अंतर है? 402
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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