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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? -- जो अभूतपूर्व सफलताएं मिली हैं, वह मात्र नवकार मंत्र की श्रद्धा का ही प्राप्त प्रतिफल है। नवकार महामंत्र की महिमा सचमुच अपार ही है। सात समुद्र की मसी करो, लेखनी सब वनराय। धरती सब कागज करो, नवकार गुण लिखा न जाये। लेखक : तेजमल जैन (प्रधानाध्यापक) __ रा.मा. वि. बामनगांव (बुन्दी) राज, ( नासूर नष्ट हुआ) (1) महासती श्री सोहनकुंवरजी म.सा. जिस समय गृहस्थाश्रम में थे, उस समय उनके पेट में अकस्मात् एक विषैली गांठ उत्पन्न हुई। उस नासूर की चिकित्सा किसी भी वैद्य या डॉक्टर से नहीं करवाई गई। महाराज ने अपना समस्त विश्वास नवकार मंत्र पर छोड़ दिया। नवकार मंत्र के जप का प्रभाव ऐसा पड़ा कि शनैःशनैः वह गांठ स्वतः बैठ गई तथा नासूर रोग समूल समाप्त हो गया! (2) एक बार महासतीजी सुदर्शनाजी म. को जैन धर्म के प्रति अनुराग एवं संसार से वैराग्य हो गया। जब महासतीजी श्री सोहनकुंवरजी म.सा. का संवत् 2040 का चातुर्मास ग्राम हांसोलाप में था, उस समय वे श्री सुदर्शना जी म.सा. के पास आये। उनका स्वास्थ्य उस समय ठीक नहीं रहता था। वे पन्द्रह-पन्द्रह या बीस-बीस दिन तक खाना नहीं खाते थे; और न अपने आप की सुधबुध रहती थी। महासतीजी ने नवकार मंत्र का जाप प्रारंभ करवाया। संवत् 2040 की आसोज सुद 7 से आसोज सुद 15 तक आयम्बिल ओली की आराधना और नौपद का जाप नौ दिन तक सुदर्शनाजी से करवाया। नवकार मंत्र का प्रभाव उन पर ऐसा पड़ा कि शनैःशनैः उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक होने लगा। हालांकि उनके स्वास्थ्य की चिकित्सा किसी भी वैद्य या डॉक्टर से नहीं करवाई गयी थी। लेखक-श्रमणसंघीय युवाचार्य श्री मधुकर मुनिजी म.सा. की आज्ञानुवर्तिनी महासतीजी सोहनकुंवरजी की ओर से हरिराम प्रजापत (शिक्षक) रा.मा.वि. खेजड़ला (जोधपुर) 375
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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