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________________ -जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार? - फौजी (महेन्द्रपालसिंह) ने घर का पता पछा, पर जिला न बताने के कारण वह पत्र भी नहीं लिख सका। एवं फौजी ने सोचा, लड़का कहीं दुष्ट के हाथों पड़ जायेगा तो जीवन बेकार हो जायेगा। इन सब बातों पर गहराई |से सोचकर कहा,"मेरे घर चलोगे?" उसके यूँ कहने पर प्रवीण राजी हो |गया। उस फौजी का घर नगलामदो एवं जिला एटा है। घर में अपनी औरत से कहा कि, "यह लड़का मेरे दोस्त का लड़का है। यह अपने घर ही रहेगा।" इस तरह दिन व्यतीत होने लगे। दीपावली के दिन उसके घर |में मांस पकाया गया। यह देखकर प्रवीण ने उसके घर खाना न खाने का संकल्प कर लिया। तब उस फौजी की बहन जो निरामिष थी, प्रवीण को अपने घर ले गई। वहां पर रहकर भी प्रवीण सुबह नवकार मंत्र का जाप करता था। यहां हमने घर पर भी नमस्कार महामंत्र का 24 घंटे का अखंड जाप, भक्तामर पाठ, द्रव्यों का संयम, कुछ द्रव्यों का 12 महिना पच्चक्खाण, स्वाध्याय, सामायिक, 12 महिने तक ब्रह्मचर्य आदि विविध प्रकार के त्याग किये। साथ ही जिनशासन अनुरागी धरणेन्द्र पद्मावती का आह्वान 5 दिन अखण्ड रूप से जाप करके किया और प्रार्थना की कि वह दुश्चरित्र से बचे, नमस्कार मंत्र का स्मरण करे और उसका दुराग्रह दूर हो। इसके फलस्वरूप उधर प्रवीण को एक दिन रात्रि के समय स्वप्न |में एक देवी का दृश्यावलोकन हुआ। उस देवी के पास कोई सवारी नहीं थी एवं न ही उसके हाथ में शस्त्र थे। वह देवी तेजस्वी रूप से सफेद वस्त्रों में खड़ी होकर उसे कह रही थी। 'डरो नहीं, अभी देरी है, धर्म की आराधना करो, कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा।' इधर हमारी धर्माराधना भी चल रही थी। ज्यों ही 4 महिने होने को आये, उस समय किसी के कहने पर लड़के की तस्वीर व पूरा पता हिन्दुस्तान पेपर में प्रकाशित |किया। इसके पहले भी प्रकाशित किया था उसका परिणाम नहीं मिला था। संयोग से उस दिन का अखबार वह फौजी (महेन्द्रपालसिंह) पढ़ रहा था। अचानक ही फोटो पर नजर पड़ गई और पहचान लिया। प्रवीण के बारे में विस्तृत कहानी लिखकर भेजी। इस प्रकार जब अन्तरायकर्म दूर 373
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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