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________________ • जिसके दिल में श्री नवकार, उसे करेगा क्या संसार ? आगरा, फिरोजाबाद विचरण करते हुए भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़ निम्बाहेड़ा, नीमच होकर जेठ वदि 9 मंगलवार दिनांक 3-6-1975 को 28 कि.मी. विहार करके पिपलीया चौराहे पर स्थानाभाव के कारण पूज्य उपकारी गुरुदेव और मैं ठाणा 2 एक आम्र वृक्ष के नीचे सूर्य अस्त होते ही ठहर गये थे। प्रतिक्रमण आदि क्रिया से निवृत्त हुए ही थे कि एकाएक गगन मण्डल में मेघ गर्जना होने लगी। बिजली चारों और चमकी। देखते ही देखते तो वर्षा मुसलाधार शुरू हो गई। पौन घंटे में तो घुटने घुटने तक जल आ गया। मैं तो घबरा गया । पूज्य उपकारी गुरुदेव ने कहा, 'नरेन्द्र ! नवकार मंत्र का स्मरण करो।' मैं मंत्र का स्मरण करने लगा। वर्षा तो जोरों की थी। हम दोनों इधर-उधर अंधेरे में पानी से बचने के लिए प्रयत्नशील थे। कदम-कदम संभलकर चल रहे थे। एकाएक मन्दसोर डंबर सड़क पर एक ट्रक आया। एकदम लाईट हमारी तरफ फेंकी। देखते ही ड्राइवर चिल्लाया, 'अरे कौन हो? ठहरो । एक कदम भी आगे पीछे मत चलो, वरना मर जाओगे।' इतना कहते हुए ड्राईवर ट्रक रोककर भागकर आया और रास्ता बताते हुए हमें ले चला। उसने कहा, 'अरे महाराज सा. ! सात, आठ कदम चलते इस दिशा में मौत का कुंआ था। भयंकर वावड़ी थी। उसमें गिर जाते तो प्राण पंखेरू उड़ जाते।' सौ कदम के भीतर ही सड़क पर एक प्याऊ में ड्राइवर ने हमें ठहरा दिया। हम वस्त्र को व्यवस्थित करने में लगे कि ड्राइवर चला गया। तत्पश्चात् हमने खूब आवाज लगाई पर न तो ट्रक दिखाई दिया, न ड्राइवर । आज भी वह दिन याद आता है तो शरीर कंपायमान हो जाता है। मेरी तो यही मान्यता है कि श्री नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से ही जीवनदान मिला। मेरा अनुभव : जीवन के अन्दर अनेक प्रकार के कार्य करते हैं। कहीं कहीं विघ्न आना भी स्वाभाविक है। किंतु उन विघ्नों को पार करने के लिए चिंतन करना भी आवश्यक है। चिंतन के साथ ही नमस्कार मंत्र का जाप एक ऐसी दिव्य शक्ति है कि स्वप्न भी साकार हो जाता है। अनेक कार्यों में आशातीत सफलता मिलती है। नमस्कार मंत्र में विज्ञान छिपा हुआ है। रंग 360
SR No.032466
Book TitleJiske Dil Me Navkar Use Karega Kya Sansar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahodaysagarsuri
PublisherKastur Prakashan Trust
Publication Year2000
Total Pages454
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size35 MB
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